Indore में पहली बार किसी पार्षद को घोषित किया गया अयोग्य, Anwar Qadri का मामला जा सकता है कोर्ट

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By Abhishek SinghPublished On: October 10, 2025

इंदौर में कांग्रेस के टिकट पर पार्षद रहे अनवर कादरी को भाजपा पार्षदों ने बहुमत के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि किसी पार्षद को पद से हटाने का अधिकार केवल संभागायुक्त के पास है, जबकि अभी तक कादरी पर दोष सिद्ध भी नहीं हुआ है। कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि मामला अदालत तक जा सकता है। प्रस्ताव पेश किए जाने के दौरान कांग्रेस पार्षदों ने विरोध जताते हुए सदन से वाॅकआउट कर दिया था। दो-तिहाई बहुमत से पार्षद पद समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया।


इंदौर नगर निगम के 40 साल के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी पार्षद को अयोग्य घोषित किया गया है। वर्ष 1994 में महापौर मधुकर वर्मा के कार्यकाल के दौरान एक कांग्रेस पार्षद को अयोग्य ठहराने की मांग नगर निगम के कर्मचारियों ने की थी, क्योंकि उस पार्षद पर कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार करने के आरोप लगे थे। बताया जाता है कि अनवर कादरी पर लव जिहाद की फंडिंग समेत पंद्रह से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। अपराध जगत में उसे ‘डकैत’ नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में वह जेल में बंद है।

दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव को मिली मंजूरी

निगम परिषद के सम्मेलन में पार्षदों के दो-तिहाई बहुमत से यह प्रस्ताव पारित किया गया। यह निर्णय नगर निगम अधिनियम की संबंधित धारा के तहत लिया गया है। साथ ही, महापौर द्वारा इस संबंध में संभागायुक्त को भेजे गए पत्र पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। अनवर कादरी को पद से हटाने का प्रस्ताव पारित करने के बाद महापौर ने वे नियम भी स्पष्ट किए, जिनके आधार पर यह कार्रवाई की गई है।

चर्चा के बीच कांग्रेस पार्षदों ने किया वाॅकआउट

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि अनवर कादरी का पार्षद पद पर बने रहना शहर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसी कारण उन्हें पद से हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उन्होंने बताया कि जब इस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी, तब कांग्रेस पार्षद बिना अपनी बात रखे ही सदन से बाहर चले गए। भार्गव ने सवाल उठाया कि जब कादरी के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं और कांग्रेस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो क्या इसे लव जिहाद के समर्थन के रूप में देखा जाए?

नोटिस के बाद भी नहीं हुई आगे की कार्रवाई

पार्षद अनवर कादरी ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। वहीं, संभागायुक्त कार्यालय की ओर से अभी तक उन्हें अयोग्य घोषित करने की औपचारिक प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। पूर्व संभागायुक्त दीपक सिंह ने पुलिस विभाग से कादरी के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी मांगी थी। इसके बाद कादरी को नोटिस जारी कर अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर दिया गया था, लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। संभावना है कि कादरी इसी आधार पर न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।