एमपी में हुआ बड़ा बदलाव, आवासीय इलाकों में ऑटोमोबाइल, होटल और अस्पताल खोलने पर लगा रोक, सरकार ने जारी किए नए नियम

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By Pinal PatidarPublished On: October 5, 2025

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में शहरी विकास से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए अब आवासीय क्षेत्रों में कई तरह के उद्योगों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। सरकार का मानना है कि इससे न सिर्फ लोगों की जीवन गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। यह बदलाव भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन कर लागू किया गया है, और ये नए नियम 2 अक्टूबर 2025 से प्रभावी हो गए हैं।

आवासीय क्षेत्रों में अब नहीं लग सकेंगे खतरनाक उद्योग


सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब आवासीय इलाकों में ऑटोमोबाइल निर्माण, विस्फोटक उत्पादन, होटल और अस्पताल जैसे 127 उद्योग स्थापित नहीं किए जा सकेंगे। ये सभी उद्योग रेड श्रेणी (Red Category) में रखे गए हैं, जिनका संचालन आबादी के बीच खतरनाक या असुरक्षित माना जाता है। इसके अलावा, इन उद्योगों से पर्यावरण प्रदूषण, ध्वनि और रासायनिक उत्सर्जन का खतरा भी बना रहता है। रेड श्रेणी के उद्योगों में ईंट भट्ठा, साबुन फैक्ट्री, कार्बन ब्लैक निर्माण, उर्वरक और यूरिया उत्पादन, चमड़ा कारखाना, डेयरी फार्म, गुड़-चीनी निर्माण, होटल और चिकित्सालय शामिल हैं। इन सभी उद्योगों को अब आवासीय क्षेत्रों में स्थापित करने की अनुमति नहीं होगी।

वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी सख्ती, नहीं लगेंगे रेड और ऑरेंज श्रेणी के उद्योग

सिर्फ आवासीय ही नहीं, बल्कि अब वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी कई उद्योगों पर प्रतिबंध लागू किया गया है। वाणिज्यिक जोन में अब रेड और ऑरेंज श्रेणी के उद्योगों को अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार के मुताबिक, इन उद्योगों से ट्रैफिक दबाव, प्रदूषण और सार्वजनिक सुरक्षा पर बुरा असर पड़ता है। ऑरेंज श्रेणी में ऐसे उद्योग आते हैं जिनसे मध्यम स्तर का प्रदूषण या पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है। इसमें बेकरी, छोटे पैमाने पर खाद्य उत्पाद निर्माण, फर्नीचर पॉलिशिंग, और कुछ प्रकार की मशीनरी असेंबलिंग यूनिट्स शामिल हैं।

व्हाइट और ब्लू श्रेणी को मिली हरी झंडी

सरकार ने हालांकि कुछ कम प्रदूषण वाले और पर्यावरण के अनुकूल उद्योगों को राहत दी है। अब व्हाइट और ब्लू श्रेणी के उद्योगों को ही आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों में स्थापित करने की अनुमति होगी। व्हाइट श्रेणी में ऐसे उद्योग आते हैं जिनका पर्यावरणीय प्रभाव लगभग नगण्य होता है। इसमें एयर कूलर रिपेयरिंग, चिकित्सा ऑक्सीजन उत्पादन, सौर मॉडल निर्माण, एलईडी बल्ब निर्माण, रेशम और ऊन उद्योग, हथकरघा, कालीन बुनाई, जूता निर्माण, ब्रश निर्माण और बायोगैस यूनिट्स शामिल हैं। इस श्रेणी में कुल 767 उद्योग को अनुमति दी गई है। वहीं ब्लू श्रेणी में ठोस अपशिष्ट संयंत्र, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसे 12 उद्योग रखे गए हैं, जो सीमित दायरे में काम करते हैं और सार्वजनिक उपयोगिता से जुड़े हैं।

नए विकास मॉडल में ‘मिश्रित भू उपयोग’ और एमआरटी सिस्टम शामिल

नए भूमि विकास नियमों में सरकार ने आधुनिक शहरी ढांचे के अनुरूप मिश्रित भूमि उपयोग (Mixed Land Use) और पारगमन उन्मुख विकास (Transit Oriented Development – TOD) जैसे प्रावधान जोड़े हैं। इस मॉडल के तहत मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (MRTS) जैसी तेज़ और पर्यावरण-मित्र सार्वजनिक परिवहन योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। यानी भविष्य में शहरों का विस्तार इस तरह होगा कि लोग अपने कार्यस्थल, घर और सुविधाओं तक कम दूरी में पहुंच सकें, जिससे ट्रैफिक, प्रदूषण और समय की बचत होगी।

सरकार का उद्देश्य: सुरक्षित, स्वच्छ और संगठित शहरी विकास

मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम शहरी क्षेत्रों में अव्यवस्थित औद्योगिक गतिविधियों पर नियंत्रण के साथ-साथ शहरों को अधिक स्वच्छ और रहने योग्य बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस संशोधन से न केवल पर्यावरणीय जोखिमों में कमी आएगी, बल्कि शहरों में रहने वालों को बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा का माहौल भी मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ये नियम सख्ती से लागू किए गए तो आने वाले वर्षों में मप्र के शहरों की रैंकिंग “क्लीन और ग्रीन सिटीज़” की सूची में और ऊपर जा सकती है।