इंदौर में पश्चिमी रिंग रोड का काम दिसंबर से होगा शुरू, 64 किमी लंबी सड़क में 50 हेक्टेयर वनभूमि और 7 हजार पेड़ रहेंगे शामिल

Author Picture
By Pinal PatidarPublished On: October 5, 2025

सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में आउटर रिंगरोड परियोजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए लगभग 50 हेक्टेयर वनभूमि का उपयोग किया जाएगा। एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने सड़क निर्माण की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है और अब पर्यावरण अनुमति मिलने का इंतजार है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले एक महीने में रीजनल इंपावरमेंट कमेटी की सहमति मिल सकती है, जिसके बाद एनएचएआई सड़क निर्माण कार्य शुरू कर सकेगा।

वनभूमि और पेड़ों का कटान


आउटर रिंगरोड के निर्माण में 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल होगी, जिसके अंतर्गत लगभग 7,000 पेड़ काटने होंगे। शुक्रवार को हुई रीजनल इंपावरमेंट कमेटी की बैठक में एनएचएआई अधिकारियों ने वन विभाग की सभी आपत्तियों को दूर कर दिया। अब औपचारिक हरी झंडी मिलने का इंतजार है। अनुमति से संबंधित सभी दस्तावेज और बिंदु जल्द ही ऑनलाइन किए जाएंगे, जिसके बाद सड़क निर्माण की प्रक्रियाएँ शुरू हो जाएंगी।

पश्चिमी रिंगरोड की रूपरेखा और लागत

पश्चिमी रिंगरोड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर होगी और इसका निर्माण लगभग 1,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जाएगा। यह सड़क 638 हेक्टेयर भूमि से गुजरेगी, जिसमें इंदौर और धार वनमंडल की करीब 50 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है। इंदौर क्षेत्र में 40 हेक्टेयर और धार क्षेत्र में 8 से 10 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा। यह मार्ग मऊ से हातोद होते हुए क्षिप्रा तक जाएगा और बेटमा, सांवेर और तराना जैसे क्षेत्रों से होकर गुजरेगा।

पूर्वी रिंगरोड: लंबाई और मार्ग

पूर्वी रिंगरोड डकाच्या से पीथमपुर तक बनाया जाएगा और इसकी कुल लंबाई लगभग 77 किलोमीटर होगी। इसे दो हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें पहला हिस्सा 38 किलोमीटर और दूसरा हिस्सा 39 किलोमीटर लंबा होगा। यह सड़क कंपेल, खुड़ैल, तिल्लौर, बड़गोंदा, पीथमपुर समेत 38 गांवों से होकर गुजरेगी। एनएचएआई इस परियोजना का सर्वे कर रही है और इसे 40 महीने के भीतर यानी मार्च 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

निर्माण कार्य जल्द शुरू होगा

आउटर रिंगरोड परियोजना के लिए कमेटी की बैठक पहले ही हो चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण अनुमति मिलने के बाद निर्माण कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा। एनएचएआई ने बताया है कि पश्चिमी रिंगरोड का काम दिसंबर से आरंभ किया जाएगा, जबकि पूर्वी रिंगरोड के लिए सर्वे और प्रारंभिक तैयारियां लगातार चल रही हैं।

सड़क परियोजना से क्षेत्रीय विकास को बल

विशेषज्ञों का कहना है कि आउटर रिंगरोड के निर्माण से उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। मऊ, बेटमा, सांवेर, तराना और पीथमपुर जैसे क्षेत्रों के लिए यात्रा का समय कम होगा और माल व यात्री परिवहन सुगम बनेगा। इस परियोजना से स्थानीय आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।