बरसात का मौसम अब धीरे-धीरे विदा ले चुका है, लेकिन इसके बावजूद मध्यप्रदेश में मानसून पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है। आसमान में बादलों की आवाजाही बनी हुई है और कई जिलों में रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश हो रही है। इस वजह से दशहरा पर्व के दौरान रावण दहन के समय बारिश की संभावना भी बनी हुई है। आयोजन समितियां पहले से ही सतर्क हो गई हैं और पुतलों को भीगने से बचाने के लिए इंतजाम करने में जुटी हैं।
बंगाल की खाड़ी में सक्रिय अवदाब
मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में इस समय अवदाब का क्षेत्र बना हुआ है। बुधवार को सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक शिवपुरी में 16 मिमी, सीधी में 4 मिमी और दतिया में 1 मिमी बारिश दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिस्टम शुक्रवार तक और गहराते हुए दक्षिणी ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों को पार कर सकता है। यही नहीं, अरब सागर और सौराष्ट्र क्षेत्र पर भी एक और अवदाब मौजूद है, जो प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रहा है।
राजस्थान पर चक्रवात और बनी द्रोणिका
अरब सागर से लेकर पूर्वी राजस्थान और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश तक एक द्रोणिका सक्रिय है। इसके साथ ही, उत्तर-पूर्वी राजस्थान पर हवा के ऊपरी स्तर पर चक्रवात भी बना हुआ है। इन सभी मौसमी परिस्थितियों के कारण हवाओं के साथ बड़ी मात्रा में नमी मध्यप्रदेश की ओर बढ़ रही है। मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला का कहना है कि गुरुवार से प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश का नया दौर शुरू होने के आसार हैं।
दशहरा पर रावण दहन में पड़ सकती है बारिश की खलल
प्रदेश के सागर, रीवा, शहडोल, जबलपुर, नर्मदापुरम और इंदौर संभाग के जिलों में मध्यम स्तर की बारिश होने की संभावना जताई गई है। भोपाल में भी बादल बरस सकते हैं। इस वजह से दशहरा पर्व पर होने वाला रावण दहन प्रभावित हो सकता है। आयोजक समितियां इसको लेकर खासे चिंतित हैं और पुतलों को बचाने के लिए वाटरप्रूफ कवर और अन्य उपायों पर काम कर रही हैं।
बीते 24 घंटे में कई जगहों पर अच्छी बारिश
पिछले 24 घंटों में भी प्रदेश के कई जिलों में बारिश का सिलसिला जारी रहा। बुधवार सुबह 8:30 बजे तक मलाजखंड में सबसे ज्यादा 27.8 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा ग्वालियर में 24.1, दतिया में 23, छिंदवाड़ा में 22, पचमढ़ी में 20.2, उमरिया में 18.4, बैतूल में 16.4, जबलपुर में 14.8 और मंडला में 11 मिमी वर्षा हुई। यह आंकड़े बताते हैं कि मानसून के लौटने के बाद भी उसका असर अभी थमा नहीं है।