नवरात्रि के नौ दिवसीय व्रत और साधना का समापन महानवमी के पावन दिन पर होता है। यह तिथि विशेष रूप से शुभ और मंगलकारी मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि इस वर्ष 1 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है।
इस अवसर पर भक्तजन उपवास, हवन और विशेष रूप से कन्या पूजन का आयोजन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख, समृद्धि तथा सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
महानवमी पर कन्या पूजन और अनुष्ठान करने का विशेष महत्व है। इस बार के शुभ समय इस प्रकार हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:53 मिनट से प्रातः 6:12 मिनट तक।
- कन्या पूजन मुहूर्त: सुबह 8:10 मिनट से दोपहर 9:58 मिनट तक।
इन मुहूर्तों में किया गया कन्या पूजन अत्यंत फलदायी और शुभ माना जाता है।
कन्या पूजन की विधि
- महानवमी पर 1 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को पूजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। परंपरा के अनुसार, एक छोटे बालक को भी बुलाया जाता है, जिसे भैरव का स्वरूप माना जाता है।
- सबसे पहले, कन्याओं के चरण धोकर उन्हें सम्मानपूर्वक आसन पर बैठाया जाता है।
- फिर कुमकुम और अक्षत से उनका तिलक कर स्वागत किया जाता है।
- कन्याओं को प्रेमपूर्वक हलवा, पूड़ी, काला चना और खीर का भोग कराया जाता है।
- अंत में उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
- यह पूजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि नारी शक्ति और मासूम बाल्य स्वरूप के प्रति सम्मान का भी प्रतीक है।
नवमी तिथि का आध्यात्मिक महत्व
नवरात्रि का अंतिम दिन नवमी तिथि अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य फल देने वाला माना जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की दात्री कहा गया है। वह भक्तों को ज्ञान, शक्ति और आत्मबल प्रदान करती हैं।
कन्या पूजन और देवी आराधना से व्यक्ति को संपूर्णता, दिव्य सिद्धि और संरक्षण प्राप्त होता है। यह दिन परिवार में सुख-शांति लाने वाला और जीवन में आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने वाला होता है।
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