अब मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसानों को अपनी मेहनत का सही दाम न मिलने की चिंता नहीं सताएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक बार फिर से किसानों की सबसे पसंदीदा ‘भावांतर योजना’ को लागू करने का ऐलान किया है और इस बार इसका पूरा फायदा सोयाबीन उगाने वाले किसानों को मिलेगा।
यह फैसला किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर जब उन्हें अपनी फसल कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अब अगर किसान की सोयाबीन फसल मंडी में सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बिकती है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। सरकार उस कमी को सीधे किसान के बैंक खाते में जमा कर देगी।
कैसे काम करेगी यह योजना?
मान लीजिए, सरकार ने सोयाबीन का MSP ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया है। अगर मंडी में आपकी फसल ₹5,000 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती है, तो जो ₹328 का अंतर है, वह सरकार सीधे आपके खाते में जमा कर देगी। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि किसी भी किसान को एक रुपए का भी नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
पंजीकरण है जरूरी
इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसानों को सबसे पहले अपना पंजीकरण कराना होगा। एक बार रजिस्ट्रेशन होने के बाद, आप अपनी सोयाबीन मंडी में बेच सकते हैं। यदि दाम कम भी मिलते हैं, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अंतर की राशि आपके खाते में आ जाएगी।
सिर्फ दाम ही नहीं, मुसीबत में भी साथ
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बारिश, बीमारी या किसी और वजह से सोयाबीन की फसल खराब हुई है, तो सरकार उसका सर्वे करवाएगी और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा भी देगी। इसका मतलब है कि सरकार न सिर्फ फसल के दाम की गारंटी दे रही है, बल्कि मुसीबत के वक्त में भी किसानों के साथ खड़ी है।
इस योजना से यह साफ है कि सरकार किसानों की आमदनी और सुरक्षा को लेकर गंभीर है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे किसानों के चेहरों पर फिर से खुशी लौट सकती है और उन्हें अपनी मेहनत का पूरा फल मिल सकता है।