23 अगस्त को जबलपुर पहुंचे केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह की मांग पर भोपाल और जबलपुर के बीच ग्रीन फील्ड हाइवे बनाने की घोषणा की। इस घोषणा से रायसेन जिले के बाड़ी, बरेली और उदयपुरा क्षेत्र के लोग काफी उत्साहित हैं। लोग मानते हैं कि इस हाइवे के बनने से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और यात्रा अधिक सुविधाजनक होगी।
परियोजना का बजट और समय-सीमा
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि भोपाल-जबलपुर ग्रीन फील्ड हाइवे 15,000 करोड़ रुपये की लागत से 255 किलोमीटर लंबा होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दिसंबर 2025 तक हाइवे की डीपीआर (डिज़ाइन परॉजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर ली जाए। मध्यप्रदेश शासन द्वारा शीघ्र भूमि उपलब्ध कराने पर निर्माण कार्य अगले साल अप्रैल-मई 2026 से शुरू हो सकता है।
हाइवे से होने वाले फायदे
इस हाइवे के निर्माण से भोपाल और जबलपुर के बीच यात्रा का समय काफी घट जाएगा। वर्तमान मार्गों की तुलना में दूरी और समय दोनों में कमी होगी। साथ ही यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बल देगा। भारी वाहन, लॉजिस्टिक्स, व्यापार और पर्यटन क्षेत्र को लाभ मिलेगा। टाइगर कॉरिडोर जैसे पर्यावरणीय और पर्यटन प्रोजेक्ट्स के साथ हाइवे जुड़ने की संभावना भी है, जिससे क्षेत्र को और फायदा होगा।
स्थानीय लोगों की चिंताएँ और सुधार के उपाय
पूर्व में बाड़ी-बरेली फोरलेन बायपास की डीपीआर में स्ट्रीट लाइट शामिल नहीं की गई थी, जिससे क्षेत्र के लोग कई दुष्परिणाम झेल रहे हैं। स्थानीय विधायक और राज्य मंत्री नरेंद्र पटेल ने कहा कि प्रस्तावित भोपाल-जबलपुर ग्रीन फील्ड हाइवे में ऐसी चूक नहीं होगी। सभी पहलुओं पर ध्यान रखा जाएगा और पूर्व की गलतियों को दोहराने से बचा जाएगा।
हाइवे की प्रमुख विशेषताएँ
• लंबाई: लगभग 255 किलोमीटर
• लागत: लगभग 15,000 करोड़ रुपये
• स्थान: भोपाल से जबलपुर के बीच
• डीपीआर: दिसंबर 2025 तक तैयार
• निर्माण प्रारंभ: अप्रैल-मई 2026 से भूमि अधिग्रहण एवं निर्माण
ग्रीन फील्ड हाइवे क्या होता है
ग्रीन फील्ड हाइवे का निर्माण पूरी तरह नए रूट पर किया जाता है, जहाँ पहले कोई सड़क मौजूद नहीं होती। इसका अर्थ है कि परियोजना को शून्य से शुरू किया जाता है। जमीन अधिग्रहण के बाद नया ट्रैक तैयार किया जाता है, जो पूरी तरह सीधा, चौड़ा और आधुनिक मानकों के अनुसार होता है।
ग्रीन फील्ड हाइवे के फायदे
इन हाइवे पर सामान्य सिग्नल, रेलवे फाटक या क्रॉसिंग नहीं होती, जिससे तेज और सुरक्षित यात्रा संभव होती है। नगरीय क्षेत्रों से दूर बनाए जाने के कारण शहरों पर ट्रैफिक का दबाव कम होता है। देश में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और अमरावती-हैदराबाद ग्रीन फील्ड हाइवे जैसे उदाहरण पहले से हैं। पीएम गति मास्टर प्लान के तहत देश में 22 एक्सप्रेसवे प्रस्तावित हैं, जिनमें भोपाल-जबलपुर ग्रीन फील्ड हाइवे भी शामिल है।