सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान उन्हें विक्रमोत्सव-2025 आयोजन के लिए वॉव अवार्ड एशियन टीम द्वारा विशेष श्रेणी में गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्वदेशी जागरण अभियान के तहत “हमारी-लक्ष्मी-हमारे पास” अभियान की शुरुआत की और साथ ही विश्व हिंदी ओलंपियाड एवं विश्वरंग के पोस्टर का लोकार्पण भी किया।
अपने संबोधन में डॉ. यादव ने कहा कि मां और मातृभाषा से बड़ा कोई नहीं होता। जैसे मां के चरणों में चारधाम का वास है, वैसे ही मातृभाषा की गोद में आनंदधाम मिलता है। मातृभाषा हमारी सबसे बड़ी पालक है, जिसका स्थान कोई नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी संस्कृति और भावनाओं की धुरी है, जो साहित्य और संवेदनाओं को आपस में जोड़ती है। 52 वर्णों से सजी हिंदी की वर्णमाला हमारी पहली पाठशाला है, जो अ से अनपढ़ को ज्ञ से ज्ञानी बना देती है।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने हिंदी काव्य को नई पहचान दी, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंचों पर हिंदी में संबोधन कर भारत को गौरवान्वित किया है।
पुस्तकों का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान भारतीय भाषा आलोक (राजेश्वर त्रिवेदी), भोजपुरी प्रतिभाएं (डॉ. पूजा शुक्ला), श्रीकृष्ण चरित्र (बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय), श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका (अशोक शर्मा) और लोक में वेदांत (डॉ. सरोज गुप्ता) जैसी कृतियों सहित अनेक साहित्यिक पुस्तकों और गीता संहिताओं का लोकार्पण किया गया।
हिंदी में बसती है हमारी चेतना और भावनाएँ
संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी हमारी सांस्कृतिक चेतना और विचारों की सशक्त अभिव्यक्ति है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और चिकित्सा शिक्षा में इसके विस्तार के लिए निरंतर प्रयासरत है। आरएनटीयू के कुलगुरु डॉ. संतोष चौबे ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की सांस्कृतिक पहलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। वहीं, अपर मुख्य सचिव शिवशेखर शुक्ला ने इसे हिंदी सम्मान का उल्लास पर्व बताते हुए कहा कि साहित्यकारों और लेखकों को सम्मानित कर प्रदेश सरकार गौरवान्वित महसूस कर रही है।