भोजपुरी भाषा का एमपी से भी है खास संबंध, सीएम मोहन यादव बोले राजा भोज परिवार के…

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By Abhishek SinghPublished On: September 14, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पटना में यादव महासभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर ओबीसी आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री गजेन्द्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया और कार्यक्रम के संयोजक अशोक यादव भी मौजूद रहे।


इस दौरान सीएम ने कहा कि सम्राट अशोक के समय उज्जयिनी महाजनपद के दो प्रमुख केंद्र हुआ करते थे। एक था पटना, जिसे पाटलिपुत्र कहा जाता था, और दूसरा था अवंतिका, यानी उज्जयिनी। उस समय युवराज पटना में और सम्राट उज्जयिनी में शासन करते थे। हमारा इतिहास इसी काल से जुड़ा हुआ है।

भोजपुरी भाषा से जुड़ा एमपी और बिहार संबंध

हमारा एक और ऐतिहासिक संबंध भोजपुरी भाषा से जुड़ा है। राजा भोज भी अतीत में अपने परिवार के साथ इस बिहार की धरती पर आए थे। इसलिए भोजपुरी भाषा कुछ हद तक यहाँ की है और कुछ हद तक हमारी अपनी संस्कृति की भी।

हर नगरीय निकाय में कर रहे गीता भवन स्थापना

सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने हर नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में गीता भवन बनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि जैसे भगवान कृष्ण की लीलाओं में द्वारिका और मथुरा का विशेष महत्व है, वैसे ही उनकी शिक्षा उज्जैन में हुई। साथ ही, सांदीपनि गुरु का आश्रम भी उज्जैन में स्थित है। इसके अलावा, हमारे उत्कृष्ट विद्यालयों में अब तक 300 से अधिक सांदीपनि विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं, जो हमारे गुरु को समर्पित हैं।

ऐसे कई प्रयास किए जा रहे हैं। जहाँ भगवान की लीलाएँ हुईं, उन स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। भगवान कृष्ण के गौरवशाली अतीत पर नजर डालें तो वे कंस के खिलाफ लड़े। मात्र 11 वर्ष की आयु में बड़े-बड़े व्यक्तियों से मुकाबला करने की हिम्मत यदि किसी में हो सकती है, तो वह केवल यदुकुल गौरव कृष्ण में ही संभव थी।

भगवान कृष्ण के नाम पर बिहार का नाम

भगवान कृष्ण के विचारों पर आधारित सांस्कृतिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश में किसी राज्य का नाम भगवान कृष्ण से जुड़ा है, तो वह बिहार है। उन्होंने बताया कि जब बिहार आकर गोपाल कृष्ण की जय बोलते हैं, तो इसका आनंद और भी बढ़ जाता है। भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न पक्षों को देखकर जीवन जीने की प्रेरणा और दृष्टिकोण भी अलग तरह से महसूस होते हैं।