ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि 13 सितम्बर 2025 (शनिवार) को आयोजित नेशनल लोक अदालत में बिजली चोरी और अन्य अनियमितताओं से जुड़े मामलों का निपटारा आपसी समझौते के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने उपभोक्ताओं और उपयोगकर्ताओं से आग्रह किया कि अनावश्यक कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए वे लोक अदालत में समझौते हेतु अपने नजदीकी बिजली कार्यालय से संपर्क करें। मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत लंबित मामलों और विशेष न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों पर भी लागू होगी।
लोक अदालत में सुलझाए जाएंगे 10 लाख तक के विवाद
कंपनी ने स्पष्ट किया है कि छूट का लाभ केवल उन्हीं मामलों में मिलेगा, जिनकी आकलित सिविल देनदारी 10 लाख रुपये तक सीमित है। यह राहत विशेष रूप से 13 सितम्बर 2025 को नेशनल लोक अदालत में समझौता करने वाले उपभोक्ताओं को ही प्रदान की जाएगी।
अब धारा 126 के मामलों में भी मिलेगी छूट
विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 126 के तहत लंबित मामलों में भी लोक अदालत की तरह राहत उपलब्ध कराई जाएगी। तय मानकों के अनुसार, जिन प्रकरणों की आकलित राशि 10 लाख रुपये तक है, उनमें उपभोक्ताओं को 20 प्रतिशत तक की छूट और ब्याज पर पूर्ण छूट दी जाएगी। हालांकि, धारा 127 के अंतर्गत अपील प्राधिकरण या उच्च न्यायालय में लंबित मामलों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
इन कैटेगरी के ग्राहकों पर लागू होगी राहत
धारा 135 के अंतर्गत दर्ज मामलों में राहत केवल घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं, 5 किलोवॉट तक के गैर-घरेलू तथा 10 अश्वशक्ति (HP) भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को दी जाएगी। प्रि-लिटिगेशन स्तर पर ऐसे उपभोक्ताओं को कंपनी द्वारा आकलित सिविल देनदारी की राशि पर 30% छूट मिलेगी। इसके साथ ही निर्धारण आदेश जारी होने के 30 दिन बाद लगने वाले 16% वार्षिक ब्याज पर पूर्णतः छूट दी जाएगी। वहीं, लंबित प्रकरणों में सिविल दायित्व की राशि पर 20% की छूट और ब्याज पर 100% छूट का लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा।