इंडियन चेस्ट सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी में शामिल हुए डॉ. डोसी

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By Abhishek SinghPublished On: September 11, 2025

जीवन की कुछ उपलब्धियाँ केवल व्यक्तिगत नहीं होतीं, बल्कि शहर और समाज के लिए गर्व का कारण बन जाती हैं। आज के दौर में जब सांस से जुड़ी बीमारियाँ -अस्थमा, टीबी, सीओपीडी और कोविड-19 देश के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं, तब इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की भूमिका और ज़िम्मेदारी और भी अहम हो जाती है। ऐसे समय में इंदौर के प्रसिद्ध चेस्ट फिजिशियन डॉ. रवि अशोक डोसी को इंडियन चेस्ट सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी के माननीय सदस्य के रूप में चुना गया। उनका कार्यकाल 2025 से 2027 तक रहेगा जिसमें वे इस क्षेत्र में होने वाले महत्वपूर्ण बदलावों एवं सुधारों का हिस्सा बनेंगे ।


डॉ. रवि अशोक डोसी पहले भी सोसाइटी में अहम जिम्मेदारियाँ निभा चुके हैं। 2023 से 2025 तक वे वेस्ट जोन चेयर रहे और उस दौरान उन्होंने मेडिकल एजुकेशन, वर्कशॉप्स और पेशेंट केयर के क्षेत्र में ज़रूरी काम किए।

इंडियन चेस्ट सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी के माननीय सदस्य के रूप में चुने जाने पर डॉ. डोसी ने कहा “भारतीय चेस्ट सोसाइटी देशभर के डॉक्टरों और रिसर्चर्स को जोड़कर काम करती है। यह सोसाइटी फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियों पर रिसर्च करती है, गाइडलाइन तैयार करती है और एजुकेशन से जुड़े कार्यक्रम चलाती है। सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी ही इसकी दिशा और कामकाज तय करती है। भारतीय चेस्ट सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है। आने वाले समय में मेरी कोशिश रहेगी कि हम रिसर्च को और मजबूत करें, डॉक्टर्स को नई ट्रीटमेंट मेथड्स से जोड़ें और हर मरीज तक बेहतर सुविधा पहुँचा सकें। यह उपलब्धि केवल मेरी नहीं, बल्कि पूरे शहर और उन सभी साथियों की है जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया।”

मध्यभारत में कार्यरत डॉ. डोसी को इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, स्लीप मेडिसिन, अस्थमा, सीओपीडी और टीबी जैसे विषयों में गहरा अनुभव है। कोविड-19 महामारी के समय उन्होंने न सिर्फ मरीजों का इलाज किया बल्कि डॉक्टरों और छात्रों के लिए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम्स भी चलाए। भारतीय चेस्ट सोसाइटी की गवर्निंग बॉडी में शामिल होने के बाद अब उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे रिसर्च और एजुकेशन कार्यक्रमों को नई दिशा देंगे। उनका अनुभव संस्था के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा और सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित होगा।