हिंदू धर्म में पितृपक्ष को अत्यंत पवित्र काल माना गया है। ऐसा विश्वास है कि इस अवधि में पितर अपने वंशजों के हालचाल जानने के लिए धरती पर आते हैं। यदि वे प्रसन्न रहते हैं तो परिवार पर कृपा बरसती है, लेकिन असंतुष्ट होने पर संकेतों के माध्यम से अपनी नाराज़गी भी जताते हैं। शास्त्रों में स्पष्ट उल्लेख है कि कुछ विशेष घटनाएं बार-बार घटें तो यह समझना चाहिए कि पितरों को तर्पण और श्राद्ध की आवश्यकता है।
कौवों का बार-बार आना और आवाज करना
धार्मिक मान्यताओं में कौवा पितरों का दूत माना जाता है। यदि पितृपक्ष के दौरान घर की छत, आंगन या आसपास कौवे लगातार आते रहें और जोर-जोर से कांव-कांव करने लगें, तो इसे पितरों का संकेत समझा जाता है। यह इस बात का इशारा है कि वे तर्पण और भोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
सपनों में पितरों का दिखाई देना
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि सपनों में बार-बार अपने पूर्वज दिखाई दें और वे भोजन या पानी की मांग करें, तो इसका अर्थ है कि वे तृप्त नहीं हुए हैं। यह एक सीधा संदेश है कि उन्हें विधि-विधान से श्राद्ध और जल तर्पण की आवश्यकता है।
अचानक आर्थिक संकट का सामना
कभी-कभी बिना कारण धन की हानि होना, व्यवसाय में नुकसान बढ़ना या आर्थिक स्थिति कमजोर होना भी पितरों की नाराज़गी का संकेत माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं में कहा गया है कि असंतुष्ट पितर लक्ष्मी की कृपा में बाधा डालते हैं, जिससे घर-परिवार पर आर्थिक संकट छा जाता है।
परिवार में लगातार बीमारियां
यदि घर के सदस्य बार-बार बीमार पड़ने लगें और इलाज के बाद भी आराम न मिले, तो इसे भी पितरों का संदेश माना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार असंतुष्ट पितर अपने वंशजों को बीमारी या दुःख के माध्यम से संकेत देते हैं ताकि वे उनकी स्मृति में तर्पण करें।
दीपक का स्वयं बुझ जाना
घर के मंदिर या श्राद्धकर्म के समय जलाया गया दीपक बिना कारण बुझ जाए, तो इसे शुभ नहीं माना जाता। यह संकेत होता है कि पितर प्रसन्न नहीं हैं। दीपक का बुझना घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के रुक जाने का प्रतीक भी है।
पूजा-पाठ में रुकावटें
यदि बार-बार पूजा के समय बाधाएं आने लगें, सामग्री गायब हो जाए या कोई कार्य अधूरा रह जाए, तो इसे भी पितरों का इशारा माना जाता है। वे इस तरह याद दिलाते हैं कि उनका श्राद्ध और तर्पण पूर्ण नहीं हुआ है।
तुलसी का पौधा सूखना
हिंदू घरों में तुलसी को अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि पितृपक्ष के दौरान तुलसी का पौधा अचानक सूख जाए या मंदिर में रखे फूल जल्दी मुरझाने लगें, तो यह पितरों के अप्रसन्न होने का संकेत है। इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
धर्मशास्त्रों के अनुसार यदि ये संकेत बार-बार दिखें, तो पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना, गौदान करना और जल तर्पण करना पितरों को संतुष्ट करता है। जब पितर प्रसन्न होते हैं तो घर-परिवार पर सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
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