जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना हुआ आसान, निगम ने जारी किए नए नियम, फीस में भी हुआ बदलाव

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By Raj RathorePublished On: September 5, 2025

जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र से जुड़ी प्रक्रिया अब और आसान हो गई है। नगर निगम ने इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब किसी भी नागरिक को ज्यादा दौड़-भाग नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि प्रमाण पत्र सीधे वार्ड कार्यालय से ही उपलब्ध हो जाएगा। निगम का दावा है कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र अब 21 दिनों के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। इससे पहले इस प्रक्रिया में महीनों लग जाते थे।


वार्ड और जोन स्तर पर ही निपटेंगे आवेदन

नए नियमों के तहत 21 दिन के अंदर आने वाले सभी आवेदन संबंधित वार्ड कार्यालय या जोन स्तर पर ही प्रोसेस किए जाएंगे। यानी लोगों को सीधे निगम मुख्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी। वहीं, अगर कोई आवेदन 22 से 30 दिन की अवधि में जमा होता है, तो उसे निगम मुख्यालय में भेजा जाएगा। अगर मामला 31 दिन से लेकर एक साल के बीच का होगा, तो आवेदक को शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।

शुल्क संरचना में किए गए बदलाव

नगर निगम ने प्रमाण पत्र जारी करने की फीस में भी बदलाव किया है। अब एक प्रमाण पत्र की कीमत 50 रुपए तय की गई है। वहीं, 21 दिनों के भीतर यदि आवेदन किया जाता है तो किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा। अगर आवेदन 22 से 30 दिनों के बीच होता है तो 20 रुपए शुल्क देना होगा। जबकि 31 दिन से एक साल के बीच आवेदन करने वालों को 50 रुपए शुल्क और 50 रुपए के स्टांप पेपर पर हलफनामा जमा करना होगा।

पुराने मामलों पर जुर्माना

जिन मामलों में एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है, उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। निगम ने तय किया है कि प्रति वर्ष 250 रुपए का जुर्माना देना होगा, जो अधिकतम 1,000 रुपए तक हो सकता है। यह व्यवस्था पुराने मामलों को समय पर अपडेट करने और रिकॉर्ड को दुरुस्त रखने के उद्देश्य से लागू की गई है।

अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा

निगम ने कुछ अतिरिक्त शुल्क भी तय किए हैं। अगर किसी को रिकॉर्ड खोजना है तो 20 रुपए देने होंगे। वहीं, डुप्लीकेट प्रति जारी कराने के लिए 50 रुपए शुल्क लगेगा। इसके अलावा, एनओसी (No Objection Certificate) जारी कराने के लिए भी 20 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है।

नागरिकों को होगा फायदा

नई व्यवस्था से सबसे बड़ा लाभ आम नागरिकों को होगा। अब उन्हें प्रमाण पत्र बनवाने के लिए महीनों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और न ही बार-बार मुख्यालय के चक्कर लगाने होंगे। 21 दिनों में ही प्रमाण पत्र उपलब्ध हो जाएगा और शुल्क भी पहले की तुलना में स्पष्ट व व्यवस्थित कर दिया गया है।