एमपी में 19.60 किमी लंबे इकोनॉमिक कॉरिडोर का लेआउट हुआ तैयार, विकास को मिलेगा नया आयाम

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By Raj RathorePublished On: August 28, 2025

भोपाल में औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास को नई दिशा देने के लिए प्रस्तावित इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर (Indore Pithampur Economic Corridor) का फाइनल ले-आउट एमपी इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPIDC) ने जारी कर दिया है। यह कॉरिडोर सिर्फ उद्योगों का नहीं बल्कि मिश्रित विकास का केंद्र बनने जा रहा है। इसमें कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, रेज़िडेंशियल और मिक्स लैंडयूज़ की स्पष्ट योजना तैयार की गई है। खास बात यह है कि यहां सबसे बड़ा हिस्सा, यानी लगभग 33 प्रतिशत जमीन वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए सुरक्षित किया गया है, जबकि औद्योगिक उपयोग के लिए मात्र 0.90 प्रतिशत क्षेत्र दिया गया है। औद्योगिक क्षेत्र में भी केवल पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाने वाले ग्रीन इंडस्ट्रीज़ को अनुमति दी जाएगी। वहीं, पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए ग्रीन एरिया, पार्क और गार्डन हेतु 5.73 प्रतिशत भूमि तय की गई है। यह उल्लेखनीय है कि पीथमपुर पहले से ही प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है, ऐसे में यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है।


इको-फ्रेंडली कॉरिडोर की परिकल्पना

यह कॉरिडोर इंदौर से पीथमपुर तक 19.60 किलोमीटर लंबा होगा और इसे पूरी तरह ईको-फ्रेंडली स्वरूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए लैंड पूलिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है और अभी तक 250 एकड़ से अधिक भूमि के सहमति पत्र एमपीआईडीसी को प्राप्त हो चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस कॉरिडोर पर व्यवसाय और उद्योग की सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि यहां स्थापित होने वाले उद्यमियों को अतिरिक्त संसाधनों के लिए बाहर न जाना पड़े। 67 हेक्टेयर जमीन सिर्फ मनोरंजन और हरियाली के लिए आरक्षित की गई है। इस हिस्से में पार्क, गार्डन, रीजनल पार्क, स्टेडियम, प्ले ग्राउंड, सिटी फॉरेस्ट और वाटर फ्रंट जैसे आकर्षक स्थल विकसित किए जाएंगे। उद्देश्य यह है कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन भी बनाए रखा जा सके।

कर्मचारियों के लिए आवास और सुविधाएं

कॉरिडोर में कार्यरत कर्मचारियों की जरूरतों का भी ध्यान रखा गया है। इसके लिए करीब 9 हेक्टेयर क्षेत्र एफॉर्डेबल हाउसिंग के लिए आरक्षित किया गया है, जहां कम लागत वाले मकान तैयार किए जाएंगे। इससे कर्मचारियों को रहने की दिक्कत नहीं होगी और वे कामकाजी क्षेत्र के नजदीक ही अपने परिवार के साथ रह पाएंगे। इसके अलावा अस्पताल, स्कूल और कम्युनिटी सुविधाएं भी इस योजना का हिस्सा हैं, ताकि कर्मचारियों और उनके परिवारों को मूलभूत सेवाएं नजदीक ही उपलब्ध हो सकें।

सुरक्षा और श्रमिक कल्याण की व्यवस्था

ले-आउट में श्रमिकों और नागरिकों की सुरक्षा एवं सुविधा को ध्यान में रखते हुए फायर स्टेशन, पुलिस स्टेशन, श्रमिक कल्याण केंद्र और आवश्यक वस्तुओं की दुकानें भी शामिल की गई हैं। श्रमिक कल्याण केंद्र के माध्यम से उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंच सकेगा। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि मजदूर वर्ग को भी बेहतर सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा मिले।

किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

इस इकोनॉमिक कॉरिडोर का एक बड़ा पहलू यह भी है कि इसमें लैंड पूलिंग एक्ट लागू होगा। इस कानून के तहत किसानों को उनकी भूमि का 50 प्रतिशत हिस्सा लौटाने का प्रावधान है। हालांकि, मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार यहां कुल विकसित भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा किसानों को दिया जाएगा। यह फैसला किसानों के हित में है और उन्हें इस विकास परियोजना में सीधा भागीदार बनाएगा। इससे किसानों को न सिर्फ जमीन का पुनर्वितरण मिलेगा बल्कि उन्हें बेहतर मूल्य पर विकसित भूखंड भी उपलब्ध होंगे।

कुल मिलाकर, इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं बल्कि औद्योगिक और वाणिज्यिक विस्तार के साथ पर्यावरण संतुलन और सामाजिक सुरक्षा का मॉडल बनने जा रहा है। इससे प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, कर्मचारियों को सुविधाएं मिलेंगी और किसानों को सीधे लाभ होगा। इस परियोजना के पूरा होने पर मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद है।