भाजपा नेता Swapnil Kothari के Renaissance College में छात्रों को खिलाया सड़ा हुआ खाना, आवाज उठाने पर किया प्रताड़ित

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By Raj RathorePublished On: August 26, 2025

भाजपा नेता स्वप्निल कोठारी पर अक्सर से यह आरोप लगते आएं हैं की उन्होंने शिक्षा के नाम पर हमेशा छात्रों के हितों की अनदेखी की है। रेनेसा यूनिवर्सिटी में लाखों रुपए फीस भरने के बावजूद छात्रों को जो सुविधाएँ मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही हैं। एक तरफ स्वप्निल कोठारी खुद को सोशल वर्कर बताते हैं, लेकिन हाल ही में अपने ही कॉलेज के एक छात्र की आवाज़ को दबाने के लिए उसे खूब प्रताड़ित करने लगे।


दरअसल, 1 अगस्त को रेनेसा कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों के लिए मैकडॉनल्ड्स से बर्गर और कोल्ड कॉफी मंगवाई थी। जब छात्रों ने बर्गर खाया तो उन्हें उस बर्गर में कीड़े – मकोड़े मिले। इस मामले की शिकायत उसी कॉलेज के सक्षम गुप्ता नामक एक छात्र ने किया।

आवाज़ उठाने पर छात्र को किया गया प्रताड़ित

बता दें की जब छात्र ने प्रमाण के साथ मामले की शिकायत प्रबंधन को की, तो उनके तरफ से कोई जवाब ही नहीं आया। छात्र ने जब अपनी बात बिना डरे रखनी शुरू की, तो स्वप्निल कोठारी के इशारे पर उसे प्रताड़ित किया जाने लगा।

रेनेसा यूनिवर्सिटी MBA इंडक्शन प्रोग्राम को लेकर पहले से ही गंभीर आरोपों में घिरी हुई है। बताया जा रहा है कि 1 अगस्त 2025 को आयोजित कार्यक्रम में 250 से अधिक छात्रों को McDonald’s के बर्गर और Starbucks की कॉफ़ी परोसी गई थी।

फैकल्टी ने भी बनाया दबाव

सच्चाई को उजागर करने की बजाय फैकल्टी ने भी छात्र को चुप कराने का प्रयास किया, वीडियो डिलीट करने की शर्त रखी और उस पर “गंदी राजनीति” करने का आरोप तक लगा दिया।

प्रशासन ने चार दिनों के अंदर इस पुरे मामले की जांच को पूरा करने का आश्वासन दिया था, मगर लगभग आधा महीना बीतने के बाद भी स्थिति जस की तस ही है। जब छात्र ने सवाल उठाए तो उसे डराया-धमकाया गया और उसे यह तक कह दिया गया की “कॉलेज छोड़ दो, यही तुम्हारे लिए अच्छा है, हमारे पास राजनीतिक ताक़त है, तुम कुछ नहीं कर सकते।”

उत्पीड़न से परेशान होकर छात्र ने छोड़ा कॉलेज

भाजपा नेता Swapnil Kothari के Renaissance College में छात्रों को खिलाया सड़ा हुआ खाना, आवाज उठाने पर किया प्रताड़ित

 

लगातार बढ़ते दबाव और मानसिक उत्पीड़न ने आखिरकार छात्र को हार मानने पर मजबूर कर दिया। थक-हारकर उसने यूनिवर्सिटी छोड़ दी। पीड़ित छात्र का कहना है – “मैंने यह कदम इसलिए नहीं उठाया कि मैं गलत था, बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने सच कहने की हिम्मत दिखाई।”