हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का बेहद महत्व है। हरतालिका तीज के इस पर्व को सुहागन महिलाएं और अविवाहित कन्या निर्जला व्रत रखकर इसका पालन करती है। मान्यता है कि महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है वही कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर का आशीर्वाद मिलता है। महिलाएं बहुत ही श्रद्धा और उत्साह के साथ इस पर्व को मनाती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
सोलह सिंगार कि मान्यता
हरतालिका तीज के इस त्यौहार पर सुहागन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं श्रृंगार करती है और पूजा पाठ करती है। भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा कर उनका आशीर्वाद लेती है।
शिव पार्वती का मिलता है आशीर्वाद
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक विवाहित महिलाओं को इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक सुख मिलता है। इसके अलावा कुंवारी कन्याओं को अपने मनचाहा और योग्य वर की प्राप्ति होती है।
कुंवारी कन्याओं के लिए इस व्रत का खास महत्व
इस व्रत का कुंवारी कन्याओं के जीवन में खास महत्व माना जाता है। इस व्रत को करने से और विधि विधान के हिसाब से इसका पालन करने से कुंवारी कन्याओं को योग्य और मनचाहा वर प्राप्त होता है। इसीलिए इस व्रत का अविवाहित कन्याओं के जीवन में खास महत्व होता है।