Vastu Shastra: घर सिर्फ रहने की जगह नहीं होता, बल्कि यह हमारी सोच, रिश्तों और जीवन की दिशा को भी प्रभावित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में हर दिशा और हर वस्तु से ऊर्जा का प्रवाह जुड़ा होता है। अगर वास्तु संतुलित हो तो न केवल सुख-शांति आती है बल्कि तरक्की और समृद्धि भी स्वतः बढ़ने लगती है। छोटे-छोटे वास्तु बदलाव आपकी किस्मत खोल सकते हैं।
मुख्य द्वार का महत्व
घर का मुख्य द्वार ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। यदि दरवाज़ा साफ-सुथरा और उज्ज्वल हो, तो सकारात्मक शक्तियां घर के भीतर प्रवेश करती हैं। लेकिन यदि इसके पास कूड़ा-कचरा, जूते-चप्पल या गंदगी फैली हो, तो नकारात्मक ऊर्जा हावी हो सकती है। इसलिए मुख्य द्वार पर रोशनी और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
तुलसी और हरे पौधों का प्रभाव
वास्तु शास्त्र में तुलसी का पौधा बेहद पवित्र माना गया है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से वातावरण शुद्ध होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। साथ ही तुलसी से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। वहीं, घर के भीतर कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस रखने से बचना चाहिए क्योंकि ये कलह और नकारात्मकता लाते हैं।
रसोई का सही स्थान
घर की रसोई को “अग्नि का केंद्र” कहा गया है। वास्तु के अनुसार रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। गैस चूल्हे को उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से आर्थिक हानि और पारिवारिक तनाव बढ़ सकता है। रसोई हमेशा साफ-सुथरी और व्यवस्थित होनी चाहिए, तभी वहां से निकलने वाली ऊर्जा घर के सभी सदस्यों के लिए लाभकारी होगी।
आईना लगाने के नियम
आईना घर की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ ऊर्जा को भी प्रभावित करता है। यदि आईना सीधे बिस्तर के सामने हो, तो यह नींद और मानसिक शांति पर बुरा असर डालता है। वास्तु के अनुसार आईना पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार पर लगाया जाए तो शुभ फल मिलता है।
जल तत्व का महत्व
पानी जीवन और समृद्धि का प्रतीक है। घर में यदि मछलीघर, फव्वारा या पानी से जुड़ी कोई भी चीज़ रखनी हो तो उसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। इससे घर में धन, भाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन दक्षिण दिशा में पानी का स्रोत रखना अशुभ माना गया है, क्योंकि यह आर्थिक नुकसान और तनाव का कारण बन सकता है।
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