भारतीय समाज में विवाह को सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच का बंधन नहीं माना जाता, बल्कि यह दो परिवारों का भी संगम होता है। लेकिन कई बार ऐसा देखा जाता है कि योग्य होने के बावजूद विवाह में रुकावटें आती रहती हैं और रिश्ते तय होते-होते टूट जाते हैं। ऐसे हालात में न सिर्फ परिवार बल्कि विवाह योग्य युवक-युवतियां भी मानसिक तनाव का सामना करने लगते हैं।
विवाह में बाधा के कारण
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की ऊर्जा और दिशाओं का सीधा असर व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं पर पड़ता है। यदि विवाह में बार-बार देरी हो रही है, तो उसके पीछे वास्तु दोष भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि गलत दिशा में बने शयनकक्ष, पूजा स्थान की असंगति, या सोने की जगह का असंतुलन वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर विवाह योग्य युवक या युवती का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा की जगह किसी और दिशा में बना है, तो इससे रिश्तों में रुकावटें आ सकती हैं। इसी तरह, घर में टूटा हुआ आईना या बंद पड़ी घड़ी भी शुभ कार्यों में अड़चन डाल सकती है।
विवाह में शुभता लाने वाले उपाय
सही दिशा में कमरा
अगर शादी योग्य युवक या युवती का कमरा उत्तर-पूर्व दिशा में बना है, तो उसे बदलकर दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना लाभकारी माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा रिश्तों और वैवाहिक जीवन को स्थिरता प्रदान करती है।
पूजा स्थान और प्रतीकात्मक तस्वीरें
घर में भगवान शिव-पार्वती या राधा-कृष्ण की तस्वीर लगाना विवाह के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। विशेषकर जब ये तस्वीरें पूजा घर में स्थापित हों और पूजा स्थान पूर्व या उत्तर दिशा में स्थित हो, तो रिश्ते जल्दी तय होने लगते हैं।
कमरे के रंग और सजावट
विवाह योग्य युवाओं के कमरे में हल्के रंगों का इस्तेमाल शुभ होता है। जैसे गुलाबी, पीला या क्रीम रंग। ये रंग प्रेम, स्नेह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। इसके अलावा कमरे में साफ-सफाई, ताजगी और पर्याप्त रोशनी बनाए रखना भी जरूरी है। अंधेरा और अव्यवस्थित कमरा रिश्तों में बाधा पैदा कर सकता है।
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