Tripti Dimri : ‘धड़क 2’ को बताया जरूरी, मीना कुमारी की बायोपिक करने की ख्वाहिश

Alok Kumar
Published:

बॉलीवुड एक्ट्रेस तृप्ति डिमरी इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म ‘धड़क 2’ को लेकर चर्चा में हैं। सिद्धांत चतुर्वेदी के साथ उनकी यह फिल्म सामाजिक मुद्दों पर आधारित है, और इसके जरिए तृप्ति एक बार फिर दर्शकों के दिलों में जगह बनाने को तैयार हैं। हाल ही में दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने करियर, किरदारों और निजी ख्वाहिशों को लेकर दिल खोलकर बातें कीं।

‘धड़क 2’ के लिए एक्साइटमेंट और प्रेशर कैसा रहा?

तृप्ति बताती हैं कि वह ‘धड़क 2’ को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने कहा, “ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है। सीक्वल में काम करने का प्रेशर जरूर होता है, लेकिन मैं उसे तनाव की तरह नहीं लेती। जब आप दिल से और टीम पर भरोसा रखते हुए काम करते हैं, तो रिजल्ट भी उतना ही सच्चा होता है।”

Tripti Dimri : ‘धड़क 2’ को बताया जरूरी, मीना कुमारी की बायोपिक करने की ख्वाहिश

शाजिया इकबाल के साथ काम करने का अनुभव

करण जौहर की सिफारिश पर जब तृप्ति ने शाजिया इकबाल की शॉर्ट फिल्म बेबाक देखी, तो वे इतनी प्रभावित हुईं कि तुरंत उनके प्रोजेक्ट का हिस्सा बनना चाहा। तृप्ति ने कहा, “उनकी नरेशन इतनी दिलचस्प थी कि हम किरदारों पर घंटों बात करते रहे।”

मीना कुमारी या मधुबाला की बायोपिक करना चाहती हैं

तृप्ति की ख्वाहिश है कि वे एक दिन मधुबाला या मीना कुमारी की बायोपिक में काम करें। “मैं उनकी बहुत बड़ी फैन हूं। अगर उनकी जिंदगी पर कोई फिल्म बनती है और मुझे उसमें मौका मिले, तो वो मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा होगा,” उन्होंने कहा।

ग्रे और निगेटिव रोल्स पर नजर

उन्होंने काजोल के गुप्त के किरदार का जिक्र करते हुए कहा, “अब निगेटिव रोल्स सिर्फ विलेन नहीं माने जाते। अगर आप गहराई और सच्चाई से ऐसे कैरेक्टर निभाते हैं, तो लोग उसे सराहते हैं।”

 ‘बुलबुल’ ने बदली जिंदगी

तृप्ति ने माना कि लैला मजनू की असफलता ने उन्हें थोड़ी देर के लिए निराश किया था, लेकिन बुलबुल की सफलता ने उन्हें आत्मविश्वास दिया। “लॉकडाउन के दौरान जब ‘बुलबुल’ आई, तो लोगों ने मुझे नोटिस करना शुरू किया। वहीं से मेरी जर्नी सही दिशा में मुड़ती दिखी,” उन्होंने बताया।

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‘धड़क 2’ जैसी फिल्मों की क्यों है जरूरत?

तृप्ति का मानना है कि इंटरकास्ट मैरिज जैसे मुद्दों पर बात होना बेहद जरूरी है। “हम सोचते हैं कि ये सब अब नहीं होता, लेकिन आज भी शहरों में ये देखा जाता है। ऐसे में ‘धड़क 2’ जैसी फिल्में लोगों को सोचने पर मजबूर करती हैं।”

पर्सनल ड्रीम – ट्रैवेलिंग और ऑब्ज़र्वेशन

फिल्मों से इतर, तृप्ति को घूमने का बेहद शौक है। “हर नई जगह मुझे इंस्पायर करती है। वहां के लोग, बोलचाल और हाव-भाव मुझे अपने किरदारों में मदद करते हैं,” उन्होंने कहा।