
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज इंदौर में विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता की और शहर को कई महत्वपूर्ण सौगातें प्रदान कीं। उन्होंने ‘स्नेह धाम’ वरिष्ठ नागरिक भवन का लोकार्पण किया, साथ ही 381 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले विकास कार्यों का शिलान्यास भी किया। इसके बाद वे ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित आपातकाल की विभीषिका विषयक संगोष्ठी में शामिल हुए।
इंदौर के लिए 565 करोड़ की प्रगति योजना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकार्पण समारोह के अवसर पर इंदौर को 565 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले विकास कार्यों की सौगात दी। इस दौरान उन्होंने लगभग 90 करोड़ रुपये के कार्यों का लोकार्पण किया, जबकि 476 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया। इन परियोजनाओं में एमआर-11 मास्टर प्लान रोड, योजना 136 में प्रस्तावित 100 करोड़ रुपये की बहुमंजिला इमारत, टीपीएस योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न विकास कार्य और जल टंकियों के निर्माण शामिल हैं। प्राधिकरण द्वारा टीपीएस-4 में सड़क और क्रश बैरियर, मास्टर प्लान की सड़कें, विद्युत उपकेंद्रों का निर्माण, योजना 166 में विद्युतीकरण कार्य तथा टीपीएस-10 के अंतर्गत ग्राम बांगड़दा, पाल कांकरिया और टिगरिया बादशाह में विकास कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही, योजना 151 और 169बी में 21 मीटर ऊंची पानी की टंकियों का भी निर्माण कराया जा रहा है।

कांग्रेस में फिर गूंजे आपातकाल जैसे संकेत
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने इंदौर स्थित ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में मीडिया से संवाद किया। उन्होंने आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय करार दिया और कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। त्रिवेदी ने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के लोकतंत्र की हत्या की थी—एक ऐसी घटना जिसे नई पीढ़ी को कभी नहीं भूलना चाहिए। इसी कलंकित अध्याय की स्मृति में हम यहां एकत्र हुए हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जहां इंदिरा गांधी देश पर आपातकाल लाई थीं, वहीं आज राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के भीतर आपातकाल लेकर आए हैं। कांग्रेस में स्थिति यह है कि यदि कोई नेता सच बोलने का साहस करता है, तो उसे नोटिस नहीं, बल्कि सीधे पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है।
स्नेह धाम में सुख-सुविधाओं की संपूर्ण व्यवस्था
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से निर्मित ‘स्नेह धाम’ में अनेक आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। छह मंजिला इस भवन में एक पुस्तकालय भी होगा, जहां धार्मिक सहित विविध विषयों पर पुस्तकें पढ़ने को मिलेंगी। इस परियोजना का निर्माण इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा किया गया है, जिसमें 16 करोड़ रुपये की लागत से 32 आवासीय फ्लैट तैयार किए गए हैं, जिनमें वृद्धजन निवास करेंगे। बताया गया कि इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित यह ‘स्नेह धाम’ न केवल प्रदेश में अपनी तरह की पहली पहल है, बल्कि यह एक प्रेरणादायक और मानवीय प्रयास भी है, जो वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन के उत्तरार्ध में सम्मान, सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है।
एक कालखंड, जब देश ने स्वतंत्रता के लिए फिर लड़ी लड़ाई
देश में आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ को बुधवार को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में चिन्हित किया गया। इस अवसर पर इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में “आपातकाल विभीषिका” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आपातकाल के खिलाफ किया गया संघर्ष, दरअसल भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ा गया युद्ध था। उन्होंने उल्लेख किया कि आपातकाल के दौरान न्यायालयों के निर्णयों को मनमाने ढंग से पलटा गया, और यह कालखंड देश के लोकतांत्रिक इतिहास पर एक काले धब्बे के समान है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 जून 1975 को आपातकाल लागू करने वाले लोग इस कलंक के लिए हमेशा उत्तरदायी रहेंगे और वे इतिहास में इससे मुक्त नहीं हो सकते। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी, नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई और विधायक महेंद्र हार्डिया सहित कई जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि लोकतंत्र सेनानियों ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अदम्य साहस के साथ संघर्ष किया। आपातकाल के उस दमनकारी कालखंड में हजारों निर्दोष लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया और उन पर अत्याचार किए गए। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले दिवंगत सेनानियों के योगदान को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया।
राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ किया गया संघर्ष देश की स्वतंत्रता की दूसरी बड़ी लड़ाई थी। उन्होंने बताया कि उस दौर में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को जब्त किया जा सकता था। लोकसभा का कार्यकाल छह वर्षों तक बढ़ा दिया गया था और संसद की बैठकों के लिए कोरम की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया—सभी पर कठोर नियंत्रण लागू कर दिया गया था। त्रिवेदी ने कहा कि भारत में वास्तविक लोकतंत्र की शुरुआत आपातकाल की समाप्ति के बाद ही मानी जा सकती है, और आज भी वैचारिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को ‘आत्मगौरव’ की अनुभूति हो रही है। इस अवसर पर प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने आपातकाल के दौरान अपनी जेल यात्रा के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि 25 जून की रात को ही देशभर में सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।