शुभांशु की उड़ान, छूने चले आसमान! भारत के लाल ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ मिशन Axiom-4

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। एयरफोर्स पायलट से अंतरिक्ष यात्री बने शुभांशु की यह यात्रा कई बार की गई देरी के बाद सफलतापूर्वक शुरू हुई। उन्होंने इसरो के गगनयान कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण लेकर यह मुकाम हासिल किया।

Srashti Bisen
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शुभांशु की उड़ान, छूने चले आसमान! भारत के लाल ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष के लिए रवाना हुआ मिशन Axiom-4

काफी समय से प्रतीक्षित Axiom-4 मिशन आखिरकार सफलता की राह पर निकल चुका है। इस ऐतिहासिक मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर स्पेसएक्स का रॉकेट अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हो गया। बुधवार दोपहर 12:01 बजे मिशन ने तय समय पर उड़ान भरी। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास के लिए एक और मील का पत्थर साबित हो सकता है।

स्पेसएक्स ने उड़ान से पहले मौसम की स्थिति को लेकर सकारात्मक जानकारी दी थी। कंपनी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X  पर कहा कि सभी तकनीकी सिस्टम सामान्य हैं और मौसम लगभग 90% अनुकूल है। इस प्रकार मिशन को हरी झंडी मिल गई और यह बिना किसी तकनीकी अड़चन के सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।


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कई बार टली लॉन्चिंग

इस मिशन की लॉन्चिंग पहले कई बार टाली जा चुकी थी। खराब मौसम, स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट में तकनीकी दिक्कतें और ISS के रूसी मॉड्यूल में लीक जैसी समस्याओं ने मिशन को बार-बार स्थगित कर दिया था। मूल रूप से इसे 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन फिर इसे 8, 10 और 11 जून के लिए पुनर्निर्धारित करना पड़ा। लंबे इंतज़ार के बाद अब यह मिशन सफलता की ओर बढ़ रहा है।

एयरफोर्स पायलट से अंतरिक्ष यात्री तक का शुभांशु शुक्ला का सफर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने सिटी मोंटेसरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री हासिल की। उनका करियर भारतीय वायुसेना से शुरू हुआ, जहां उन्होंने 2006 में फाइटर पायलट के रूप में सेवा ज्वॉइन की।

शुभांशु एक अत्यंत अनुभवी फाइटर पायलट हैं, जिन्हें Su-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डोनियर और हॉक जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने में 2000 घंटे से अधिक का अनुभव है। वे वायुसेना में कॉम्बैट लीडर और टेस्ट पायलट जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं।

गगनयान से Axiom तक की यात्रा

2019 में शुभांशु ने इसरो के गगनयान मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए आवेदन किया था। उनका चयन चार अधिकारियों के एक समूह में हुआ, जिन्हें रूस और भारत में अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रशिक्षण दिया गया। इसी प्रशिक्षण और प्रतिबद्धता की बदौलत अब शुभांशु Axiom-4 मिशन के ज़रिए अंतरिक्ष की यात्रा पर निकले हैं।