भूलकर भी इन 3 तरह के लोगों के हाथ का खाना न खाए, वरना बढ़ सकती हैं आपके जीवन की परेशानियां

भारतीय परंपरा में भोजन को केवल आहार नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत माना गया है, जो उसे बनाने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति से प्रभावित होता है। क्रोध, बीमारी या नकारात्मक भावनाओं से युक्त व्यक्ति द्वारा बनाया गया खाना हमारे मन और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए भोजन बनाते समय शांति, प्रेम और सकारात्मकता अत्यंत आवश्यक मानी जाती है।

swati
Published:
भूलकर भी इन 3 तरह के लोगों के हाथ का खाना न खाए, वरना बढ़ सकती हैं आपके जीवन की परेशानियां

भारत की प्राचीन परंपराओं में भोजन को केवल पेट भरने का माध्यम नहीं, बल्कि एक पवित्र कृत्य माना गया है। इसे ‘अन्न देवता’ कहा गया है, और माना जाता है कि जिस तरह का अन्न हम ग्रहण करते हैं, वैसी ही ऊर्जा हमारे शरीर और मन में प्रवेश करती है।

यही कारण है कि भारतीय परंपरा में भोजन को ग्रहण करने से पहले न केवल हाथ धोने और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, बल्कि यह भी देखा जाता है कि भोजन किसके हाथों से बना है। व्यक्ति की मानसिक स्थिति, उसका स्वभाव और भावनाएं ये सभी उस भोजन की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं।

क्रोधी और अशांत मन वाले व्यक्ति का भोजन क्यों है हानिकारक?

अगर कोई व्यक्ति स्वभाव से अत्यंत क्रोधित, चिड़चिड़ा या नकारात्मक सोच रखने वाला है, तो उसके हाथों से बना खाना ग्रहण करना शुभ नहीं माना जाता। ज्योतिष और ऊर्जा विज्ञान के अनुसार, गुस्सा, द्वेष और अशांति जैसी भावनाएं एक प्रकार की ऊर्जा होती हैं, जो भोजन में समाहित हो जाती हैं। जब कोई इस तरह का भोजन खाता है, तो वही कंपन (vibrations) उसके मन-मस्तिष्क में प्रवेश करती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति में बेचैनी, असंतुलन और तनाव की भावना उत्पन्न हो सकती है। इसलिए कहा गया है कि भोजन शांति और स्नेहपूर्ण भाव से बनाया जाए।

बीमार या मानसिक रूप से अस्थिर व्यक्ति के हाथ का खाना क्यों टालना चाहिए?

अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से गंभीर रूप से बीमार है, खासकर छूत की बीमारी से ग्रसित है, या फिर मानसिक रूप से असंतुलित है, तो ऐसे व्यक्ति द्वारा बनाया गया भोजन ग्रहण करना शुभ नहीं होता। ऊर्जा विज्ञान बताता है कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति की थकावट, अवसाद या कमजोरी भोजन में स्थानांतरित हो सकती है। रोजाना ऐसा भोजन करने से आपकी सेहत और मानसिक स्थिति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि सेवा या सहानुभूति के भाव से बना भोजन इससे अलग माना जाता है, लेकिन नियमित रूप से इस प्रकार का भोजन करना उचित नहीं समझा जाता।

ईर्ष्या और छलभाव रखने वाले व्यक्ति से क्यों बचना चाहिए?

अगर कोई व्यक्ति भीतर से किसी के प्रति ईर्ष्या, जलन या कपट की भावना रखता है, तो वह नकारात्मक ऊर्जा भी भोजन में प्रवेश कर जाती है। ऐसे भोजन को ग्रहण करने से आपके जीवन में अकारण अड़चनें, धन संबंधी नुकसान और रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भोजन में छुपी ऊर्जा बहुत शक्तिशाली होती है और यह हमारे भाग्य को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए, कहा गया है कि भोजन बनाने वाले के विचार और भावनाएं शुद्ध और सकारात्मक हों।

‘जैसा अन्न, वैसा मन’

भारतीय दृष्टिकोण में यह मान्यता गहरी जड़ें रखती है कि हमारा आहार सीधे हमारे मन पर असर डालता है। इसलिए सिर्फ यह ध्यान देना कि खाना स्वादिष्ट या पोषणयुक्त है, पर्याप्त नहीं होता। जरूरी है कि भोजन बनाते समय आसपास का वातावरण शांत, पवित्र और सकारात्मक हो। किचन में लड़ाई-झगड़े, अपशब्द या नकारात्मक विचारों से भोजन की ऊर्जा दूषित हो जाती है।

भोजन ग्रहण करने से पहले ध्यान रखें:

  • खाना बनाते समय मन शांत और भावनाएं निर्मल हों।
  • भोजन तैयार करते समय अच्छे विचार, मंत्र या प्रार्थना का जाप किया जाए।
  • भोजन से पहले ईश्वर का ध्यान कर अन्न को धन्यवाद देना चाहिए।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।