UPS Benefit : केंद्र सरकार द्वारा देश भर के केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी राहत दी गई है। दरअसल यूनिफाइड पेंशन स्कीम और नई पेंशन स्कीम में से किसी एक को चुनने की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। अब कर्मचारी 30 सितंबर तक अपना विकल्प चुन सकते हैं। पहले इसकी अंतिम तिथि 30 जून तक निर्धारित की गई थी।
बता दे की 1 अप्रैल 2025 को यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लागू किया गया है लेकिन अब तक 27 लाख एनपीएस नामांकित कर्मचारियों में से केवल 1500 ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम का चुनाव किया है। वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग द्वारा आदेश जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि मौजूदा पात्र कर्मचारी, पूर्व रिटायर्ड कर्मचारी और मृतक, पूर्व कर्मचारियों के विधवा, वैवाहिक जीवन साथी यूनिफाइड पेंशन स्कीम को चुन सकते हैं।

समय सीमा को 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर तक किया गया
इसके लिए समय सीमा को 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर तक किया गया है। सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम कैलकुलेटर जारी कर दिया गया है। जिससे कर्मचारी अपनी संभावित पेंशन की गणना कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें npstrust.org.in पर जाना होगा। यहां पर उन्हें यूपीएस कैलकुलेटर पर क्लिक करने के साथ ही जन्म तिथि, नौकरी ज्वाइन करने की तारीख, रिटायरमेंट आयु, मंथली बेसिक सैलरी और सालाना वेतन वृद्धि आदि जानकारी भरनी होगी।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के कई फायदे
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के कई फायदे हैं। इसमें 25 वर्ष की सेवा के बाद अंतिम 12 महीने की औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में उपलब्ध कराया जाता है और इसके लिए न्यूनतम 10 वर्ष की सेवा पर अनुपातिक लाभ दिए जाते हैं। कर्मचारियों की मृत्यु के बाद उनके पेंशन का 60% उन्हें पारिवारिक पेंशन के रूप में उपलब्ध कराया जाता है।
10 साल की सेवा पर 10000 प्रति माह की उन्हें गारंटी मिनिमम पेंशन उपलब्ध कराई जाती है। एआईसीपीआई के आधार पर उनके महंगाई राहत को भी बढ़ाया जाता है। पुरानी पेंशन योजना के समान ग्रेच्युटी और विकलांगता लाभ भी उपलब्ध कराए जाते हैं। मिलिट्री पर्सनल बेनिफिट के तहत रिटायरमेंट पर अतिरिक्त भुगतान 1/10वां हिस्सा प्रति 6 महीने की सेवा के बाद उन्हें उपलब्ध कराया जाता है।
नई पेंशन स्कीम की अपनी सीमाएं
नई पेंशन स्कीम की अपनी सीमाएं हैं। कंट्रीब्यूटरी स्कीम के तहत कर्मचारियों को 10% सरकार को 14% योगदान करना होता है। गारंटी पेंशन का लाभ उन्हें नहीं मिलता। 60% राशि रिटायरमेंट के ऊपर मिलती है जबकि 40% से पेंशन बनती है। उनके पास कोई फिक्स्ड ग्रेच्युटी नहीं होती है। ग्रेच्युटी तय नहीं होने की वजह से डीए भी 6 महीने बाद ही जुड़ता है। शेयर बाजार पर आधारित होने की वजह से मुद्रा स्फीति सुरक्षा का लाभ उन्हें नहीं मिल पाता। रिटायरमेंट में मिलने वाली राशि पर टैक्स लागू होते हैं।