देवी लक्ष्मी की कृपा चाहिए? आषाढ़ अमावस्या पर करें ये 6 उपाय, नहीं होगी कभी धन-दौलत की कमी

आषाढ़ अमावस्या 2025 का धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन किए गए विशेष उपाय जीवन में धन, सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं।

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Ashadha Amavasya 2025 : हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। यह तिथि पितरों (पूर्वजों) को समर्पित मानी जाती है, और इसे श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान जैसे कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है, और इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 25 जून 2025 को पड़ रही है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व होता है।

हालांकि अमावस्या तिथि मुख्य रूप से पितरों के लिए होती है, लेकिन आषाढ़ अमावस्या को मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी बेहद फलदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। अगर आप भी धन, सुख-शांति और पितृ शांति की कामना रखते हैं, तो आइए जानते हैं आषाढ़ अमावस्या पर किए जाने वाले कुछ बेहद प्रभावशाली और शुभ उपायों के बारे में।

ईशान कोण में घी का दीपक जलाएं

आषाढ़ अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में घी का दीपक जलाएं। दीपक में 7 लौंग डालने से इसका प्रभाव और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह उपाय मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और घर में धन, समृद्धि और सुख-शांति बनी रहती है।

तुलसी माला से गायत्री मंत्र का जाप

इस दिन तुलसी की माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी होता है। यह न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा को भी जाग्रत करता है। साथ ही, यह उपाय देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सरल साधन है।

केसर, लौंग और कपूर का उपाय

घर में सकारात्मक ऊर्जा और आर्थिक उन्नति के लिए इस दिन कपूर, केसर और लौंग को एक साथ जलाएं। ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है और वातावरण में आकर्षण और शुद्धता आती है। यह उपाय मां लक्ष्मी को आकर्षित करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और तर्पण

पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तिल, जल और कुश से तर्पण दें। यह उपाय पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।

पीपल के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा

पीपल का वृक्ष पितरों का प्रतीक माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या पर पीपल की पूजा करें और उसकी जड़ में दूध व मिश्री मिला जल चढ़ाएं। इसके बाद 108 बार परिक्रमा करें। यह उपाय भी पितरों की आत्मा को शांति देता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में विघ्न बाधाएं दूर होती हैं।

पिंडदान और पितरों के नाम से दान

इस दिन पिंडदान और तर्पण करना विशेष रूप से आवश्यक होता है। इसके लिए किसी विद्वान ब्राह्मण की सहायता लें। पिंडदान के लिए तिल, कुश, पुष्प और जल का प्रयोग करें। तर्पण के पश्चात पितरों के नाम से अन्न, वस्त्र या धन का दान करें। यह कार्य पितरों की आत्मा को संतोष प्रदान करता है और वंश में शांति बनी रहती है।

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