इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत अब अंडरग्राउंड ट्रैक का निर्माण भी गति पकड़ रहा है। इस परियोजना के पहले चरण में करीब 8.6 किलोमीटर लंबा अंडरग्राउंड मार्ग तैयार किया जाएगा, जिसमें 7 स्टेशन प्रस्तावित हैं। सबसे पहले एयरपोर्ट के सामने अंडरग्राउंड स्टेशन का निर्माण आरंभ किया जा रहा है। इसके लिए सड़क किनारे की जमीन को समतल किया जा रहा है और डायवर्जन के लिए शेड लगाए गए हैं। इस स्थान पर 100 से अधिक पेड़ों को हटाने की योजना है, जिनमें से कुछ को ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट का ठेका हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (HCC) और टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की संयुक्त साझेदारी को लगभग 2190 रुपए करोड़ में सौंपा गया है। दोनों कंपनियों की टीमें पहले ही इंदौर पहुंच चुकी हैं। करीब 50 इंजीनियर और कर्मचारी साइट पर मौजूद हैं और उन्होंने प्रोजेक्ट ऑफिस की स्थापना कर दी है। फिलहाल, जमीन को समतल करने और आधारभूत संरचनाओं के निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है।

टनल बोरिंग मशीनें दिल्ली से आएंगी
कंपनी वर्तमान में दिल्ली मेट्रो के एक अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, और वहां से टनल बोरिंग मशीनें (TBM) लाने की योजना है। इन मशीनों के इंदौर पहुंचने में करीब 3 से 4 महीने लगेंगे। तब तक साइट पर अन्य आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
संभावित स्टेशनों की हो रही हैं जांच
प्रस्तावित अंडरग्राउंड स्टेशनों के लिए साइट पर जिओ-टेक्निकल सर्वे शुरू हो चुका है। बीएसएफ कैंपस के सामने, रामचंद्र नगर चौराहा और बड़ा गणपति क्षेत्र में मिट्टी व चट्टानों के सैंपल लिए जा रहे हैं। इन सैंपलों की जांच लैब में की जाएगी, जो आगामी दो महीनों तक चलने की संभावना है। इससे यह तय होगा कि सुरंग और स्टेशन निर्माण के लिए जमीन कितनी उपयुक्त है।
एयरपोर्ट से मेट्रो तक सीधा कनेक्शन
अधिकारियों की मानें तो अंडरग्राउंड ट्रैक के निर्माण में अपेक्षाकृत अधिक समय लग सकता है, लेकिन एयरपोर्ट के सामने स्टेशन को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका उद्देश्य उज्जैन रूट से आने-जाने वाले यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी देना है। साथ ही एयरपोर्ट से सीधे अंडरग्राउंड स्टेशन तक एक विशेष पाथवे बनाए जाने की भी चर्चा चल रही है।