मांग कम होने से सोयाबीन के दाम में स्थिरता आई, जानें 27 मई 2025 के ताजा मंडी भाव

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By Sudhanshu TiwariPublished On: May 27, 2025
Soyabean Mandi Bhav

Soyabean Mandi Bhav: देशभर की मंडियों में सोयाबीन की कीमतें हल्की स्थिरता के साथ थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ चल रही हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में सोयाबीन के भाव स्थिरता के साथ हल्की हलचल दिखा रहे हैं।यह स्थिति कम आपूर्ति, मौसमी प्रभाव और मांग में उतार-चढ़ाव के कारण बनी है। किसानों के लिए यह आय का अच्छा अवसर है, लेकिन उपभोक्ताओं और तेल उद्योग पर इसका असर पड़ रहा है। आइए जानते हैं 30 शहरों के ताजा मंडी भाव और इस स्थिरता की वजहें।

सोयाबीन की कीमतों में स्थिरता की वजह

सोयाबीन की फसल पर बारिश और खराब मौसम का असर पड़ा, जिससे मंडियों में नई फसल की आवक सीमित रही। घरेलू और निर्यात मांग में हल्की बढ़ोतरी ने कीमतों को स्थिर रखा है। देश की मंडियों में स्थिरता के साथ हल्की हलचल बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश में सोयाबीन के भाव

  • लखनऊ: ₹4200-₹4500/क्विंटल
  • कानपुर: ₹4150-₹4450/क्विंटल
  • वाराणसी: ₹4250-₹4550/क्विंटल
  • आगरा: ₹4100-₹4400/क्विंटल
  • गोरखपुर: ₹4300-₹4600/क्विंटल
  • मेरठ: ₹4150-₹4450/क्विंटल

बिहार में सोयाबीन के भाव

  • पटना: ₹4250-₹4550/क्विंटल
  • गया: ₹4200-₹4500/क्विंटल
  • भागलपुर: ₹4150-₹4450/क्विंटल
  • मुजफ्फरपुर: ₹4100-₹4400/क्विंटल
  • दरभंगा: ₹4200-₹4500/क्विंटल
  • पूर्णिया: ₹4150-₹4450/क्विंटल

पंजाब में सोयाबीन के भाव

  • अमृतसर: ₹4100-₹4400/क्विंटल
  • लुधियाना: ₹4150-₹4450/क्विंटल
  • जालंधर: ₹4200-₹4500/क्विंटल
  • पटियाला: ₹4250-₹4550/क्विंटल
  • बठिंडा: ₹4100-₹4400/क्विंटल
  • मोहाली: ₹4150-₹4450/क्विंटल

मध्य प्रदेश में सोयाबीन के भाव

  • इंदौर: ₹4400-₹4700/क्विंटल
  • भोपाल: ₹4350-₹4650/क्विंटल
  • ग्वालियर: ₹4300-₹4600/क्विंटल
  • जबलपुर: ₹4250-₹4550/क्विंटल
  • रीवा: ₹4200-₹4500/क्विंटल
  • उज्जैन: ₹4350-₹4650/क्विंटल
  • रतलाम: ₹4400-₹4700/क्विंटल
  • नीमच: ₹4450-₹4750/क्विंटल

राजस्थान में सोयाबीन के भाव

  • जयपुर: ₹4350-₹4650/क्विंटल
  • जोधपुर: ₹4300-₹4600/क्विंटल
  • उदयपुर: ₹4250-₹4550/क्विंटल
  • अलवर: ₹4400-₹4700/क्विंटल

किसानों पर प्रभाव

सोयाबीन की स्थिर कीमतें किसानों की आय को बढ़ाने में मदद कर रही हैं, खासकर मध्य प्रदेश में। लेकिन तेल उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए यह खर्च बढ़ा रहा है। सरकार स्टॉक रिलीज जैसे कदम उठा सकती है।