जनजातीय शिल्प को मिलेगा बढ़ावा, एमपी में खुलेंगे ट्रायबल मार्ट, आदिवासी हुनर को मिलेगा सम्मान

मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए सभी संभागों और 20 प्रमुख जिलों में "ट्रायबल मार्ट" खोलने का निर्णय लिया है। भोपाल में शिल्पग्राम महोत्सव के दौरान मुख्यमंत्री ने इस पहल की शुरुआत की, वहीं "आदिरंग" प्रोजेक्ट के तहत कारीगरों को प्रशिक्षण देकर उनके कौशल का विकास किया जाएगा।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय समुदाय की कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। राज्य के सभी संभागों और 20 प्रमुख जनजातीय जिलों में “ट्रायबल मार्ट” खोले जाएंगे, जहां आदिवासी कारीगर अपने हस्तशिल्प उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगे। इस पहल का उद्देश्य जनजातीय शिल्पकारों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाना है।

शिल्पग्राम महोत्सव में मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

शुक्रवार को भोपाल स्थित रविन्द्र भवन परिसर में राज्य स्तरीय जनजातीय शिल्पग्राम महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह उपस्थित रहे। महोत्सव का उद्घाटन करते हुए डॉ. शाह ने कहा कि आदिवासी शिल्प को बाज़ार उपलब्ध कराकर उनकी आजीविका सशक्त की जाएगी।

पारंपरिक पहचान को संरक्षित करने की जरूरत

मंत्री डॉ. शाह ने अपने संबोधन में जनजातीय समुदाय की पारंपरिक संस्कृति जैसे उनका पहनावा, खान-पान, संगीत और लोकनृत्य की अहमियत पर ज़ोर दिया। उन्होंने चिंता जताई कि आधुनिकता के प्रभाव से यह अनूठी पहचान धुंधली होती जा रही है। इसे सहेजने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए ट्रेनर्स को विशेष प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की जा रही है।

‘आदिरंग’ प्रोजेक्ट से होगा शिल्प कौशल का विकास

जनजातीय शिल्पकारों की पहचान और कौशल उन्नयन के लिए सरकार “आदिरंग” नामक एक विशेष प्रोजेक्ट शुरू कर रही है। यह प्रोजेक्ट भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन की मदद से संचालित होगा। प्रशिक्षित कारीगर न केवल खुद का विकास करेंगे, बल्कि आगे अन्य कलाकारों को भी प्रशिक्षण प्रदान कर सकेंगे।

शिल्प प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

महोत्सव के दौरान आयोजित शिल्प प्रदर्शनी में प्रदेश भर से आए आदिवासी कलाकारों ने अपने हुनर का जीवंत प्रदर्शन किया। मिट्टी की कलाकृतियों, पारंपरिक पेंटिंग्स, घरेलू सजावटी वस्तुओं से लेकर जनजातीय व्यंजन तक के स्टॉल लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे। रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्रों में सजे कलाकारों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रदर्शन किया।