इंदौर में 54 वर्षों बाद एक बार फिर हवाई चेतावनी सायरनों की आवाज सुनाई देगी। शहर के राजवाड़ा, श्रमिक, अन्नपूर्णा, एरोड्रम, बाणगंगा समेत 12 क्षेत्रों में बुधवार दोपहर तक सायरन लगाए जाएंगे। प्रशासन ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है और उसी दिन एक मॉकड्रिल का आयोजन भी किया जाएगा। इसके लिए वालंटियर्स नियुक्त किए जाएंगे, जो स्थानीय नागरिकों को सायरन बजने की स्थिति में अपनाए जाने वाले निर्देशों की जानकारी देंगे।
मध्य प्रदेश में इंदौर के साथ-साथ भोपाल, ग्वालियर, कटनी और जबलपुर में भी मॉकड्रिल आयोजित की जाएगी। इस अभ्यास में पुलिस, प्रशासन, एनसीसी और एनएसएस कैडेट्स, होमगार्ड, सिविल डिफेंस वार्डन और कॉलेजों के छात्र सक्रिय भागीदारी करेंगे। शाम सात बजे शहर में ब्लैकआउट किया जाएगा, ताकि आपात स्थिति की तैयारियों का यथार्थ मूल्यांकन किया जा सके।

कलेक्टर आशीष सिंह ने जानकारी दी कि मॉकड्रिल के आयोजन को लेकर केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त हुए हैं। यह अभ्यास देशभर के 244 जिलों में किया जाएगा, जिनमें इंदौर भी शामिल है। इसके तहत शहर में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और 12 स्थलों पर सायरन लगाने का कार्य प्रगति पर है। साथ ही, सिविल डिफेंस के वालंटियर्स की नियुक्ति की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।
घर के बाहर दीपक तक नहीं जला सकते थे
इंदौर में वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ब्लैकआउट की व्यवस्था लागू की जाती थी। सायरन बजते ही पूरे शहर की लाइटें बुझा दी जाती थीं और नागरिक सुरक्षित स्थानों की ओर चले जाते थे। इंदौर निवासी नारायण राव मंचरे बताते हैं कि उस समय घर के बाहर दीपक तक जलाना मना था, ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमानों को नीचे आबादी का कोई संकेत न मिले। वहीं, रहवासी विजय यादव याद करते हैं कि उस समय वे स्कूल में पढ़ते थे। जैसे ही सायरन की आवाज सुनाई देती, उनके पिता उन्हें तत्काल घर के भीतर बुला लेते थे। पूरा मोहल्ला अंधकार में डूब जाता था।