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मध्यप्रदेश के इस विश्वविद्यालय ने लिया ऐतिहासिक फैसला, अब ‘इंडिया’ की जगह इस्तेमाल होगा ‘भारत’

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By Srashti BisenPublished On: March 17, 2025
Maharshi Panini Sanskrit and Vedic University Ujjain

Maharshi Panini Sanskrit and Vedic University Ujjain : महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिससे अब विश्वविद्यालय के अभिलेखों में ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ शब्द का उपयोग किया जाएगा। यह बदलाव विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में लिया गया निर्णय है। इसके तहत विश्वविद्यालय की वेबसाइट, विद्यार्थियों के प्रमाणपत्र, कैलेंडर और अन्य सभी दस्तावेजों पर अब केवल ‘भारत’ शब्द ही लिखा जाएगा। यह प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय है, जो इस बदलाव को लागू करने जा रहा है।

इस महत्वपूर्ण निर्णय पर कार्यपरिषद की बैठक कुलगुरु प्रो. विजय कुमार सीजी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में दीक्षांत समारोह की तैयारियों पर चर्चा के दौरान सदस्य गौरव धाकड़ ने ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी सदस्यों ने समर्थन किया। धाकड़ ने कहा, “प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री देश की संस्कृति से जुड़े नामों को प्रचलित करने की दिशा में प्रयासरत हैं, और यह निर्णय उसी दिशा में एक कदम है।”

संस्कृत को लेकर विशेष पहल:

मध्यप्रदेश के इस विश्वविद्यालय ने लिया ऐतिहासिक फैसला, अब 'इंडिया' की जगह इस्तेमाल होगा 'भारत'

गौरव धाकड़ के इस प्रस्ताव के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की गई है। इस फैसले के बाद, विश्वविद्यालय उज्जैन के नागरिकों को संस्कृत से जोड़ने के लिए एक नई योजना शुरू करेगा। संस्कृत सीखने के इच्छुक व्यक्तियों को विश्वविद्यालय दक्ष और प्रशिक्षित विद्यार्थियों से शिक्षक उपलब्ध कराएगा। ये शिक्षक न केवल घर-घर जाकर कक्षाएं संचालित करेंगे, बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी संस्कृत सिखाएंगे। इस प्रयास से संस्कृत का प्रचार और प्रसार बढ़ेगा, और ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्राचीन भाषा से जुड़ पाएंगे।

संस्कृत शिक्षकों के लिए रिसोर्स पूल सिस्टम

विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर एक नया ‘रिसोर्स पूल सिस्टम’ भी शुरू किया जाएगा, जिसमें योग्य शिक्षकों की जानकारी उपलब्ध होगी। इच्छुक लोग इन शिक्षकों से होम ट्यूशन ले सकेंगे। इसके साथ ही ये शिक्षक विभिन्न समाजिक कार्यक्रमों में शामिल होकर संस्कृत की कक्षाएं आयोजित करेंगे। इस पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संस्कृत की शिक्षा आम जनता तक पहुंच सके, और भाषा के महत्व को हर किसी तक पहुंचाया जा सके।

दीक्षांत समारोह की तैयारियां

पाँचवें दीक्षांत समारोह की तारीख 31 मार्च तय की गई है, जो सुबह 11 बजे कालिदास संस्कृत अकादमी संकुल हॉल में आयोजित होगा। यह समारोह विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा और संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में नये कदम उठाने का प्रतीक होगा।