क्या आप भी सिंगल हैं? तो मिल सकती है ये सजा, झेलनी होगी इन तीखे मसालों की मार

हमारे देश में जब लड़के-लड़कियों की उम्र 22-23 साल होती है, तो शादी के रिश्ते ढूंढे जाने लगते हैं, जबकि एक देश में अगर कोई 25 साल की उम्र तक अविवाहित रहता है, तो उसे दालचीनी से नहलाया जाता है। अगर व्यक्ति 30 साल का हो जाता है तो काली मिर्च से यह प्रक्रिया दोहराई जाती है। यह परंपरा मजाक के रूप में होती है और इसकी शुरुआत मसाले बेचने वाले व्यापारियों से जुड़ी हुई है, जो शादी में देर करते थे। आजकल यह परंपरा कम देखने को मिलती है, लेकिन कुछ जगहों पर इसे हल्के-फुल्के मजाक के रूप में निभाया जाता है।

Srashti Bisen
Published:

हमारे देश में, जब किसी लड़के या लड़की की उम्र 22-23 साल होती है, तो शादी के रिश्ते ढूंढे जाने लगते हैं, यह मानकर कि अगर अब नहीं देखेंगे तो बाद में मुश्किल हो सकती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा देश है, जहां पर इस से बिल्कुल उलट एक अलग तरह की शादी की परंपरा है, वहां पर अगर कोई शख्स 25 साल की उम्र तक अविवाहित रहता है, तो उसे दालचीनी से नहलाया जाता है और अगर वह 30 साल का हो जाता है तो काली मिर्च से यही प्रक्रिया दोहराई जाती है। आइए जानते हैं, इस अजीबोगरीब रिवाज के बारे में।

क्या है यह अजीब रस्म?

यह परंपरा उस वक्त निभाई जाती है जब कोई व्यक्ति 25 साल का हो जाता है और अब तक उसने शादी नहीं की होती है, या फिर वह शादी नहीं कर रहा होता है। यह एक मजाक के रूप में किया जाता है, ताकि उस व्यक्ति को थोड़ा हल्का-फुल्का मजाकिया तरीके से समाज का सामना करना पड़े। हालांकि आजकल यह परंपरा कम देखने को मिलती है, लेकिन इसकी शुरुआत बहुत पुरानी है।

कैसे होती है यह परंपरा?

इस प्रक्रिया में, जिस व्यक्ति पर दालचीनी डालने की रस्म होती है, उसे सिर से लेकर पैरों तक अच्छी तरह से दालचीनी से नहलाया जाता है। यह नहलाने की प्रक्रिया घर के अंदर नहीं होती, बल्कि खुले आम सड़क पर होती है। कई बार लोग दालचीनी को पानी में डालकर उस व्यक्ति को उसमें डाल भी देते हैं, जिससे यह प्रक्रिया और भी गंदे और मजेदार तरीके से होती है। अगर कोई व्यक्ति 30 साल का हो जाता है और फिर भी अविवाहित रहता है, तो उसे काली मिर्च से नहलाया जाता है।

कैसे शुरू हुई यह परंपरा?

यह परंपरा बहुत पुरानी बताई जाती है। कहा जाता है कि पहले मसाले बेचने वाले व्यापारी, जो अक्सर यात्रा करते रहते थे, वे लंबे समय तक शादी नहीं कर पाते थे। उन्हें एक अच्छा जीवनसाथी नहीं मिलता था। इन व्यापारियों को “पेपर ड्यूड्स” और महिलाओं को “पेपर मैडेन्स” कहा जाता था। धीरे-धीरे इन व्यापारियों के मसालों के साथ यह परंपरा जुड़ गई और फिर यही परंपरा बन गई।

क्या अब भी होती है यह परंपरा?

आजकल यह परंपरा कम ही देखने को मिलती है। हालांकि, कुछ जगहों पर इसे हल्के-फुल्के मजाक के तौर पर निभाया जाता है, लेकिन अब यह एक सामाजिक दबाव की तरह नहीं रही। अब भी कुछ लोग इसे अपनी परंपरा और पुराने रीति-रिवाजों का हिस्सा मानते हैं, लेकिन यह समय के साथ बहुत कम देखने को मिलती है।