इंदौर में तेजी से बढ़ रही हैं नेत्रदान करने की पहल, 48 घंटे में हुए 8 नेत्रदान, 16 लोगों का जीवन होगा रोशन

Indore News : इंदौर में पिछले 48 घंटों में आठ लोगों ने अपने नेत्र दान किए हैं। इन आठ व्यक्तियों की आंखों से 16 अन्य लोगों को नई रोशनी मिलेगी। इसके अलावा, इनमें से एक व्यक्ति की देह और दो लोगों की त्वचा भी डोनेट की गई है। यह पहल इंदौर में नेत्रदान के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाती है और इसका असर अब शहर के अन्य हिस्सों और आसपास के क्षेत्रों में भी दिखाई दे रहा है।

इंदौर में तेजी से बढ़ रही हैं नेत्रदान करने की पहल

पिछले कुछ महीनों में इंदौर में औसतन हर माह 100 नेत्रदान हो रहे हैं, जो संभवत: मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। डॉक्टरों और एनजीओ के कर्ताधर्ताओं का मानना है कि इंदौर में देहदान, अंगदान, और नेत्रदान की दिशा में तेजी से बढ़ते कदमों से लोग प्रेरित हो रहे हैं। यह बदलाव दर्शाता है कि शहर के लोग अब इन नेक कार्यों में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं।

स्वाभाविक मृत्यु के बाद नेत्रदान

जिन आठ लोगों के नेत्रदान किए गए हैं, उनकी मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई है। इनमें इंदौर के अलावा शुजालपुर और उज्जैन के निवासी भी शामिल हैं। इस पहल के तहत, उन लोगों के परिवार ने अपने परिजनों की आखिरी इच्छा के रूप में नेत्रदान का निर्णय लिया। यह पहला मौका नहीं था, जब 48 घंटों में इतने लोगों ने अपने नेत्र दान किए, इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

इस बार जिन आठ लोगों के नेत्रदान किए गए हैं, उनके नाम डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, कुशल सराफ, महेश राजदेव, ओमप्रकाश भाटिया, शंकर रिझवानी, मंजूला व्यास, हीरामणि जैन और सीमा जैन हैं। 80 वर्षीय कुशल सराफ की देह और त्वचा भी दान की गई। इनमें से तीन लोगों की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई, जिनमें से शंकर रिझवानी ने मृत्यु से पहले ही नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा था।

‘नेत्रदान के लिए जरूरी है कि व्यक्ति की मृत्यु स्वाभाविक हो’

नेत्रदान के लिए जरूरी है कि व्यक्ति की मृत्यु स्वाभाविक हो। आई बैंकों के अनुसार, नेत्रदान के लिए ब्लड सैंपल लिए जाते हैं और उसके बाद हेपेटाइटिस, एचआईवी आदि की जांच की जाती है। यदि कोई बीमारी पाई जाती है तो 30% कार्निया काम नहीं कर पाती। इंदौर और आसपास के लोग अब जीवन मूल्यों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और नेत्रदान जैसे नेक काम के लिए आगे आ रहे हैं। आई बैंकों का मानना है कि 67 से 70% तक की आंखें दूसरों के जीवन में उजियारा करती हैं। इस प्रकार, इंदौर में नेत्रदान के बढ़ते कदम न केवल शहर को एक नेक दिशा में ले जा रहे हैं, बल्कि यह एक प्रेरणा बनकर अन्य शहरों के लिए भी मिसाल पेश कर रहा है।