प्रदेश में ‘रेलवे प्रोजेक्ट’ के लिए कई गांवों से भूमि अधिग्रहण, मुआवजे को लेकर किसानों का विरोध, 22 को नोटिस जारी

मध्य प्रदेश में भोपाल से रामगंज मंडी तक रेलवे लाइन के निर्माण कार्य में तेजी आई है, लेकिन नरसिंहगढ़ के तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब गांवों में 2017 से मुआवजे की राशि और ब्याज को लेकर विवाद बना हुआ है। 22 किसानों ने मुआवजे की मांग को लेकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जबकि प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर बैंक खाता और आधार कार्ड देने का निर्देश दिया है। इस मामले में प्रशासन की ओर से अवार्ड में देरी को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जो फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है।

मध्य प्रदेश में भोपाल से रामगंज मंडी तक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य इन दिनों जोर-शोर से चल रहा है, और इस तेजी के कारण हाल ही में खिलचीपुर में रेलवे का ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरा किया गया। लेकिन इस निर्माण के साथ ही, नरसिंहगढ़ जिले के तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब गांवों में मुआवजे की राशि और ब्याज को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच विवाद बढ़ गया है। यह विवाद पिछले दो महीनों से तूल पकड़ रहा है।

वर्ष 2017 में रेलवे लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 22 किसानों को मुआवजा और ब्याज की राशि अब तक नहीं मिली है। 12 फरवरी को एसडीएम सुशील वर्मा, तहसीलदार विराट अवस्थी, नायब तहसीलदार अंगारिका कनौजिया और रेलवे अधिकारियों ने तुर्कीपुरा गांव के किसानों से मुलाकात की। प्रशासन ने किसानों से कहा कि वे मुआवजा राशि अभी ले लें। लेकिन इन किसानों ने इस मामले को न्यायालय में चुनौती दी है और मुआवजा राशि के साथ ब्याज की भी मांग की है।

एसडीएम का नोटिस और किसानों की आपत्ति

एसडीएम ने इन 22 किसानों को नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर अपने बैंक खाता नंबर और आधार कार्ड प्रदान करने का आदेश दिया, ताकि मुआवजा राशि उनके खातों में जमा की जा सके। हालांकि, किसानों ने इस नोटिस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे न्यायालय के निर्णय तक इसे मानने को तैयार नहीं हैं।

प्रशासन की गलती या तकनीकी चूक?

रेलवे लाइन के लिए भूमि का सर्वे 2017 में किया गया था, जिसमें तुर्कीपुरा, बड़ोदिया तालाब, गिलाखेड़ी, सेमलखेड़ी और बिजोरी जैसे गांव शामिल थे। बाकी गांवों का मुआवजा 2017 में ही दे दिया गया था, लेकिन तुर्कीपुरा और बड़ोदिया तालाब का अवार्ड 2022 में किया गया। अब सवाल यह उठता है कि जब इन दोनों गांवों का सर्वे 2017 में हुआ था, तो उनका मुआवजा और ब्याज 2022 में क्यों दिया गया? प्रशासन की ओर से इस प्रक्रिया में कोई न कोई गलती हुई है, जो कि जांच का विषय बन चुका है। अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।