Indore Breaking : इंदौर के बीआरटीएस को हटाने का रास्ता अब साफ हो गया है। जबलपुर उच्च न्यायालय ने इंदौर के BRTS को हटाने का आदेश दिया है। इंदौर में निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक लगभग 11.5 किमी लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) है। इस मुद्दे को लेकर दो जनहित याचिकाएं इंदौर हाईकोर्ट की खंडपीठ में दायर की गई थीं, जिन्हें बाद में जबलपुर हाईकोर्ट की मुख्य पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया।
आज, जबलपुर हाईकोर्ट ने इंदौर के बीआरटीएस को हटाने का निर्णय सुनाया है। इंदौर के बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) को हटाने के बारे में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नवंबर 2024 में यह घोषणा की थी कि यह प्रणाली लोगों के लिए समस्या पैदा कर रही है, इसलिए इसे हटाया जाएगा।
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उपयोगिता और प्रभावशीलता की जांच के लिए बनाई गई थी कमेटी
हाईकोर्ट ने वर्तमान हालात को देखते हुए बीआरटीएस प्रोजेक्ट की उपयोगिता और प्रभावशीलता की जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश दिया था। इस कमेटी में वरिष्ठ वकील अमित अग्रवाल के अलावा, आईआईएम और आईआईटी के निदेशकों द्वारा नामित विशेषज्ञ भी शामिल थे। इससे पहले, वर्ष 2013 में भी कोर्ट बीआरटीएस की उपयोगिता और प्रभावशीलता की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर चुका था।
300 करोड़ रुपये की लागत से बना था BRTS
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इंदौर में 300 करोड़ रुपये की लागत से 11 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस प्रोजेक्ट दस साल पहले शुरू किया गया था। इसमें 30 से अधिक बसें चलती हैं और 12 स्टेशन बनाए गए हैं। इस परियोजना को जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त हुई थी। हालांकि, बस के लिए विशेष लेन बनाने पर कुछ लोगों ने विरोध किया था और मामला हाईकोर्ट में भी गया था।
6 किलोमीटर लंबा हिस्सा बना हुआ है बाॅटलनेक
इंदौर के BRTS का लगभग छह किलोमीटर लंबा हिस्सा बाॅटलनेक बना हुआ है। एलआईजी से व्हाइट चर्च रोड तक सड़क की चौड़ाई कम होने के कारण ट्रैफिक की समस्या बढ़ रही है। इसके अलावा, बीआरटीएस के कारण जंक्शन पर ब्रिज निर्माण में भी दिक्कतें आ रही हैं। दिल्ली और पुणे में बीआरटीएस को बाद में हटा दिया गया था। भोपाल में भी बीआरटीएस की बस लेन को हटाने का निर्णय लिया जा चुका है।