दिनेश निगम ‘त्यागी’
नेताओं के गुटों के मामले में भाजपा भी कांगे्रस की राह पर है। भाजपा में अब तक शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा एवं वीडी शर्मा जैसे स्थापित नेताओं के गुट थे, अब कांग्रेस से आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नया गुट तैयार हो रहा है। प्रारंभ में सिंधिया सिर्फ उनके नेता दिख रहे थे, जो कांग्रेस छोड़कर उनके साथ आए हैं या कांग्रेस में उनके साथ रहे हैं। आमतौर पर उनके दौरों में उनके ये समर्थक ही नजर आते रहे हैं। पहली बार बदलाव दिखा।
सिंधिया मालवा अंचल में जन-आशीर्वाद यात्रा लेकर पहुंचे तो कैलाश विजयवर्गीय समर्थक हों, सुमित्रा महाजन के साथ रहे हों या किसी अन्य नेता के साथ, सभी सिंधिया के साथ कदमताल करते नजर आए। इस अंचल में सिंधिया का इस तरह स्वागत हुआ मानो वे चंबल-ग्वालियर नहीं, मालवा के सबसे बड़े नेता हैं। संकेत साफ हैं कि भाजपा नेतृत्व सिंधिया के आभामंडल का प्रदेश के इस अंचल में भी उपयोग करना चाहता है। लिहाजा, भाजपा में हर गुट के नेता उनके साथ जुड़ने की कोशिश में हैं। उनका नया गुट तैयार होने लगा है। यह भाजपा में स्थापित कई नेताओं के लिए चिंता का कारण बन रहा है। उनमें बेचैनी बढ़ रही है।
क्यों हुई गोविंद-आकाश की फजीहत….
ज्योतिरादित्य सिंधिया की मालवा अंचल में जन आशीर्वाद यात्रा चमकदार तो रही लेकिन इसके साथ कुछ घटनाएं सोशल मीडिया की सुर्खियां भी बनीं। खास चर्चा में रहे कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय और भाजपा के पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी गोविंद मालू। वायरल दो वीडियो में इनकी फजीहत होती दिखाई गई। एक में सिंधिया मीडिया से बात कर रहे थे, तो आकाश को चुप रहने के लिए बोल दिया। अटकलें चल पड़ी कि नाराज होकर आकाश कार्यक्रम छोड़कर चले गए।
आकाश का कोई स्पष्टीकरण भी नहीं आया। दूसरे वीडियो में गोविंद मालू को पुलिस धक्का देकर मंच के पास से बाहर करती नजर आई। मालू की भी इस पर कोई सफाई नहीं आई। चर्चा चल पड़ी कि सिंधिया के कार्यक्रमों में भाजपा के समर्पित नेताओं को अपमानित किया जा रहा है। मामले ने तूल पकड़ा तो मालू के साथ धक्का मुक्की करने वाले दो पुलिस कर्मियों को लाइन अटैच कर दिया गया और एक एसआई को निलंबित। सवाल यह है कि क्या वास्तव में सिंधिया के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेता असहज महसूस करने लगे हैं और क्या भाजपा नेतृत्व ने सिंधिया के चमकदार चेहरे का पूरे प्रदेश में उपयोग करने का मन बना लिया है?
जानबूझ कर तो फीका नहीं किया गया शो….
एक और नए केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने जन-आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत ग्वालियर से की। वे ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर के साथ सागर संभाग कवर रहे हैं। उनकी यात्रा की अवधि सिंधिया से ज्यादा है। संकेत साफ हैं कि भाजपा नेतृत्व वीरेंद्र को दलित नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहता है। बावजूद इसके यात्रा के शुभारंभ पर ग्वालियर में उन्हें अपेक्षाकृत समर्थन नहीं मिला। अटकलें हैं कि उनके शो को जानबूझ कर फीका किया गया। एक, उन्होंने यात्रा की शुरुआत महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल से कर सिंधिया की दुखती रग को छुआ। लिहाजा, सिंधिया समर्थकों ने उनसे दूरी बनाई।
दो, जिस दिन वीरेंद्र यात्रा शुरू कर रहे थे, उसी दिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बाढ़ प्रभावित जिलों श्योपुर एवं शिवपुरी का दौरा करने पहुंच गए। इसके कारण भाजपा के नेता, कार्यकर्ता उस कार्यक्रम में चले गए। इससे भी इस बात को बल मिला कि वीरेंद्र के कार्यक्रम को फीका करने की कोशिश हुई। हालांकि भोपाल में वीरेंद्र के कार्यक्रम शानदार रहे। यहां मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित सभी नेताओं ने भागीदारी की। पहली बार सांसद प्रज्ञा ठाकुर किसी कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती नजर आर्इं।
बेतुकी बयानबाजी पर अंकुश कब?….
बेतुके बयान देने वाले नेताओं की सूची में दो नए नाम जुड़ गए हैं। एक हैं भाजपा विधायक संजय पाठक और दूसरे कटनी भाजपा के जिलाध्यक्ष रामरतन पायल। सोशल मीडिया पर वायरल दोनों के वीडियो पर लोग चटखारे ले रहे हैं। पाठक लोगों को संबोधित करते हुए कोरोना वैक्सीन लगवाने की सलाह दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अफवाह चल रही है कि वैक्सीन लगवाने के बाद नपुंसकता आती है। मैंने वैक्सीन लगवाई तो मुझसे भी कहा गया कि आपने गलत किया, आप नपुंसक हो जाएंगे। यह सुन मैं टेंशन में आ गया।
टेंशन में ही तीन-चार माह चेक किया, तब पता चला कि यह महज अफवाह है। इसमें दम नहीं। इसलिए आप सभी बिना डरे वैक्सीन लगवाएं। पाठक के तर्क पर जमकर ठहाके लग रहे हैं। दूसने नेता रामरतन पायल ने कहा कि यहां पेट्रोल महंगा है लेकिन अफगानिस्तान में सस्ता। वहां 50 रुपए लीटर मिल रहा है। जिसे सस्ता पेट्रोल चाहिए वह अफगानिस्तान जाकर ले आए। ऐसे बेवकूफी भरे बयानों पर हंसी नहीं आएगी तो क्या होगा। कई बार से विधानसभा का चुनाव जीत रहे संजय पाठक से तो कम से कम ऐसे बेहूदा तर्कों की उम्मीद कोई नहीं करता। सवाल है कि क्या ऐसे बेतुके बयानों पर कभी कोई अंकुश लग सकेगा?
आंख की किरकिरी बनी महिला नेत्री….
आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में आर्इं महिला नेत्री नेहा बग्गा पार्टी में कुछ नेताओं की आंख की किरकिरी बन गई हैं। वजह उनका अयोग्य होना, अनुशासन तोड़ना या किसी के साथ कोई दुर्व्यवहार करना नहीं है, कारण है पार्टी में उन्हें दो-दो पदों से नवाजा जाना। भाजपा में पद पाने की लालसा रखने वाले नेताओं की कतार लंबी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के साथ पार्टी में आने के कारण पहले से भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के हकों पर तुषारापात हुआ है। अब ‘आप’ से आर्इं नेहा बग्गा को पहले भाजपा प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया, इसके बाद भाजपा महिला मोर्चा में मीडिया प्रभारी का पद मिल गया।
भाजपा में सार्वजनिक तौर पर विरोध की पंरपरा कम है लेकिन अंदरखाने नेहा कुछ नेताओं के आलोचना के केंद्र में आ गर्इं हैं। ऐसे नेताओं का कहना है कि हम दरी, टाट-फट्टी, फर्श बिछाते आ रहे हैं, पद देने की बारी आई तो बाहर से आए लोगों को दो-दो पद दिए जा रहे हैं। इस पर पाटी नेतृत्व कुछ भी नजरिया रखे लेकिन इन निष्ठावान नेताओं के तर्क में दम तो है। एक अन्य महिला नेत्री भी चर्चा में है जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के कार्यक्रम में थी और यहां भाजपा में पद मिल गया। किरकिरी होने पर आनन-फानन उन्हें भाजपा में शामिल किया गया।