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प्रेम प्यार का बंधन है राखी ,
भाई बहन का प्यार है राखी ,
सावन की हरियाली बहार है ,
धरा भी मन से मुस्कुरा रही है ,
बहना की सजी थाली में, रोली चावल है ,
नारियल संग मिठाई की ,मस्त मिठास है ,
बहन जब ख़ुशियों से ,लगाती है तिलक ,
शान से ऊँचा हो जाता है ,भाई का मस्तक ,
स्नेह की डोर ,नेह से बांध कलाई पर,
बहन भाई ,रक्षा का शुभ वचन निभाते है ,
चरणो में बहन के ,वंदन कर भाई ,
आशीर्वाद से ,अपनी राह बनाते है ,
पारिवारिक आनंद की इस बेला में ,
मिठास की ख़ुशबू ,बिखर बिखर जाती है ,
आनंद के इस मेले के ,सुंदर बगीचे में ,
बच्चों की किलकारियाँ भी, ख़ूब गूंजती है ,
बहन के बांधे ,इस पावन रक्षा सूत्र से देवेंद्र ,
मन आँगन में ,प्रफुल्लित भाव खिलखिलाते है ,
अटूट प्रेम का ,भाई बहन का यह ,पवित्र रिश्ता है ,
मेरा देश ,मेरी संस्कृति का यह ,दिल से रिश्ता है ।
..देवेंद्र बंसल ,
सामाजिक,विचारक,लेखक,कवि
इन्दौर मध्यप्रदेश