रघुनंदन शर्मा की पुस्तक ‘आजादी बनाम फाँसी अथवा कालापानी’ का विमोचन

Shivani Rathore
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भोपाल : आज आज़ादी के #AmrutMahotsav के अंतर्गत भोपाल स्थित रवीन्द्र भवन में श्री रघुनंदन शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘आज़ादी बनाम फाँसी अथवा कालापानी’ का विमोचन किया। भारत को आज़ादी अंग्रेजों ने चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं दी थी। बच्चों को यह बताने की ज़रूरत है कि आजादी के लिए हजारों वीर क्रांतिकारी हँसते-हँसते फाँसी के फंदे पर झूल गए थे। फाँसी पर चढ़ते वक्त उनके पैर नहीं काँपा करते थे।

क्रांतिकारियों के एक हाथ में गीता होती थी, उनके मुँह से भारत माँ की जय का उद्घोष निकलता था और उनके हृदय में दृढ़संकल्प होता था। वे ईश्वर से प्रार्थना करते थे कि वे इसी भारत भूमि पर जन्म लें और तब तक पैदा होकर मरते रहें जब तक भारत माँ आज़ाद न हो जाएँ। कई क्रांतिकारियों ने अपनी जवानी और पूरी ज़िंदगी अंडमान निकोबार में गुज़ार दी थी। उन्होंने अपने लहू से भारत माँ की मिट्टी को पवित्र किया था। उनके त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण देश आजाद हुआ। मन में पीड़ा होती है कि आजादी के बाद बच्चों को इतिहास पढ़ाया गया तो ज़्यादातर ज़ोर इसी पर दिया गया कि हमें आज़ादी पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी जी ने दिलवाई।महात्मा गांधी जी के योगदान को कोई अस्वीकार नहीं कर सकता। उन्हें हम प्रणाम करते हैं। एक कसक उठती है कि हम मंगल पांडे, नानासाहेब पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, बहादुर शाह ज़फर, वासुदेव बलवंत फड़के, लाला हरदयाल, रानी अवंतीबाई, भगवान बिरसा मुंडा, रघुनाथ शाह, शंकर शाह, टंट्या मामा, भीमा नायक, राणा बख्तावर सिंह को भूल गए। हम बादल भोई, ठाकुर रणमत सिंह, लाल बाल और पाल की जोड़ी, लोकमान्य तिलक, सावरकर बन्धुओं जैसे अनेक वीर क्रांतिकारियों को भूल गए! शहीद उधम सिंह ने कसम खाई थी कि जलियांवाला बाग के हत्याकांड का बदला लूंगा।

यह संकल्प उन्होंने इंग्लैंड जाकर पूरा किया। हम खुदीराम बोस, मदन लाल ढींगरा, बटुकेश्वर दत्त, अशफ़ाक उल्ला खान, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को भूल गए। हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भूल गए जिन्होंने कहा था कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा। रघुनंदन जी को धन्यवाद जिन्होंने अपनी किताब से हमें शहीदों की याद दिलाई।

पूजे न गए शहीद तो फिर ये मंत्र कौन अपनाएगा।
तोपों के मुंह से कौन अकड़ अपनी छातियां अड़ाएगा।
चूमेगा फन्दे कौन, गोलियां कौन वक्ष पर खाएगा।
अपने हाथों अपने मस्तक फिर आगे कौन बढ़ाएगा।

हमने अनेक क्रांतिकारियों के स्मारक बनाने का निर्णय लिया। भोपाल में भारत माता का मंदिर बनाया जा रहा है। इसी भाव से हमने शौर्य स्मारक का निर्माण किया। देशभक्ति की ज्योति लगातार जलाने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ पर आज़ादी का #अमृतमहोत्सव मनाने का फैसला किया है।

मध्यप्रदेश में सालभर कार्यक्रमों का आयोजन होगा और पुस्तकों का प्रकाशन होगा। देशभक्ति का इतिहास बच्चों के सामने जाए ताकि वे ज़िम्मेदार नागरिक बनें। आज देश के लिए भले ही मरने की ज़रूरत न हो, लेकिन देश के लिए जीने वाले मिलें। अपने कर्तव्यों का निष्ठा के साथ पालन करना ही सच्ची देशभक्ति है।