नई दिल्ली। ग्लोबल वॉर्मिंग से आसन्न खतरे की याद दिलाते हुए इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में सभी को चेताया है। IPCC ने रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2100 तक धरती के औसत तापमान में पूर्व औद्योगिक काल के मुकाबले 2 डिग्री से ज्यादा की बढ़त हो सकती है। अन्यथा बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन तत्काल कम किया जाए। IPCC ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) का पहला भाग, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का ताजा मूल्यांकन, परिवर्तन और ग्रह पर इनका प्रभाव और जीवन रूपों को जारी किया है। बता दें कि, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति पर यह रिपोर्ट व्यापक रूप से स्वीकृत वैज्ञानिक राय है।
वहीं आकलन रिपोर्ट का पहला भाग क्लाइमेट चेंज को लेकर अपनी दलीलों के पक्ष में वैज्ञानिक साक्ष्य सामने रखता है। इनमे 1850 से 1900 के बीच वैश्विक तापमान पूर्व इंडस्ट्रियल टाइम के मुकाबले पहले से 1.1 डिग्री बढ़ चुका है। साथ ही रिपोर्ट में आईपीसीसी ने चेताया है कि 2040 तक वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री का और इजाफा हो सकता है। इसके साथ ही क्लाइमेट चेंज से मुकाबले के लिए 2015 में हुए पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में इजाफे को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखना है।
खासतौर पर 1.5 डिग्री के भीतर ही रखना है। साथ ही वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के तापमान में 2 डिग्री से ज्यादा का इजाफा पृथ्वी की जलवायु को हमेशा के लिए बदल देगा और इंसान तथा अन्य प्राणियों के लिए खुद को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में बड़े पैमाने पर कटौती भी जाए तब भी धरती के तापमान में इजाफा 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर 1.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। हालांकि रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि, बाद में यह 1.5 डिग्री सेल्सियस तक आ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस तक की सीमा में रोक पाना मुमकिन नहीं होगा, अगर तत्काल, बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउस गैसों में कटौती नहीं की जाती है।