आज सावन का पहला सोमवार हैं। श्रावण मास भगवान महादेव को बेहद प्रिय होता है। सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। साथ ही इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ठीक उसी तरह सावन महीने के पहले मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है और इस बार मंगला गौरी व्रत मंगलवार 27 जुलाई को है। मंगला गौरी व्रत को ज्यादातर सुहागिनें रखती हैं।
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को शुरू करने के बाद कम से कम पांच तक रखा जाता है। हर साल सावन में 4 या 5 मंगलवार पड़ते हैं। सावन के आखिरी मंगला गौरी व्रत को उद्यापन का विधान है। आइए जानते हैं कि सावन माह में मंगला गौरी व्रत का क्या महत्व है और क्या है शुभ मुहूर्त….
शोभन योग में होगी मंगला गौरी व्रत की पूजा
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत शोभन योग बन रहा है और ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक शोभन योग को शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। शोभन योग मंगलवार को रात 09.11 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल दोपहर 03.51 मिनट से शाम 05.33 मिनट तक है। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12.55 मिनट तक है। विजय मुहूर्त दोपहर 02.43 मिनट से दोपहर 03.38 मिनट तक रहेगा।
मंगली गौरी पूजा विधि:
– इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें।
– निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।
– इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए।
– चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
– अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।