हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी कहा जाता है। कहीं-कहीं इस तिथि को ‘पद्मनाभा’ भी कहते हैं। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन से भगवान नारायण निद्र में चले जाएंगे। एकादशी का आरंभ 19 जुलाई यानि आज से होगा। लेकिन इसका पारण 21 जुलाई को किया जाएगा।
देवशयनी एकादशी का महत्व –
मान्यताओं के अनुसार देशयनी एकदाशी से भगवान विष्णु कुल चार माह के लिए निद्रा मुद्रा में चले जाते हैं। जिसे चातुर्मास कहा जाता है। बता दे, इन चार महीने में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। वहीं देवउठनी एकादशी 14 नवंबर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष से सभी मांगलिक कार्य शुरू होंगे। देवश्यनी एकादशी से संसार का संचालन शिवजी करते हैं।
शुभ मुहूर्त –
देवशयनी एकादशी तिथि – 20 जुलाई, मंगलवार
एकादशी तिथि आरंभ- 19 जुलाई, सोमवार रात 9.59 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त- 20 जुलाई, मंगलवार रात 7.17 बजे
पारण का समय – 21 जुलाई, बुधवार सुबह 5.36 बजे से 8.21 बजे तक
भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त –
ब्रह्म मुहूर्त – 20 जुलाई, सुबह 4.14 मिनट से सुबह 4.55 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त – 20 जुलाई, दोपहर 12 बजे से 12.55 मिनट तक
विजय मुहूर्त – 20 जुलाई, दोपहर 2.45 मिनट से 3.39 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – 20 जुलाई, शाम 7.05 मिनट से 7.29 मिनट तक
पूजा सामग्री –
भगवान विष्णु का एक चित्र या मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, लौंग, घी, दीपक, धूप, फल, मिष्ठान, तुलसी दल, पंचामृत और चंदन आदि।