शनि के दुष्प्रभाव से रहना है दूर तो सावन के हर शनिवार पर करें ये उपाय

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सावन का महीना हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। साथ ही इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है माना जाता है। सावन के हर दिन भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। सावन में भोलेनाथ अपने हर भक्त से प्रसन्न में रहते हैं। इस बार 25 जुलाई 2021 से सावन का महीना दस्तक देने वाला है।

 

वहीं हमारे पौराणिक शास्त्रों में सावन के महीने में कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन इस महीने में जरूर करना चाहिए। सावन में कुल चार सोमवार का आगमन हो रहा है जब-जब आप भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। वहीं ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मानव जीवन में शनि का दुष्प्रभाव बेहद ही कष्टदाई होता है। व्यक्ति के हर बनते काम बिगड़ जाते हैं।

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अगर आप भी कुछ ऐसी ही समस्या से जूझ रहे हैं या फिर आपकी भी कुंडली में शनि दोष है, तो आने वाला सप्ताह आपको इस दोष से मुक्ति दिला सकता है। अगर आप शनि के बुरे प्रभाव से छुटकारा पाना चाहते हैं तो श्रावण मास में भोलेनाथ की आराधना करें। चलिए जानते हैं कि कैसे भगवान भोलेनाथ शनि के दुष्प्रभावों से छुटकारा दिला सकते हैं।

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-अगर आप सावन मास के हर शनिवार को भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करते हैं तो इससे आपकी कुंडली से शनि दोष खत्म होगा।

-शनिदेव से संबंधित सभी वस्तुओं को शनिवार के दिन जरूरतमंद व गरीबों को दान मे दें। इन वस्तुओं में काला कपड़ा, काला तिल, काला छाता, ताला, चप्पल आदि भी शामिल हो सकते हैं।

-सबसे पहले तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें काले तिल डालें, इसके बाद सावन मास के हर शनिवार को इस जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें।

-प्रत्येक शनिवार शनि देव को सरसों या तिल के तेल का दीपक दिखाएं। एवं रूद्राक्ष से शनि देव के मंत्रों का जाप करें।

-हर शनिवार को कच्चे चावल शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में आते हैं।

-सावन के हर शनिवार भगवान शिव को जल से ही नहीं बल्कि शहद से भी स्नान करवाएं। ऐसा करने से शनिदेव के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

-शनिवार के दिन भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।

-शनिवार के दिन शनि मंदिर में जौ का दान करने से जीवन में सुख-शांति आती है।

-सावन के हर शनिवार चीटियों को गुड़ खिलाएं व पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें।

-एक पान के पत्ते में काले तिल, लोहे की कील, एक रूपए के सिक्के को डालकर शनिदेव को जरूर अर्पित करें।