उज्जैन । उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र के निर्माण में होना वर्तमान समय की आवश्यकता है। विद्या किसी राष्ट्र की संस्कृति का संरक्षण, संवर्धन ही नहीं करती, अपितु एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संस्कारों का हस्तांतरण भी करती है। शिक्षा ग्रहण कर मनुष्य जीवनपर्यन्त समाज को आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है।उक्त विचार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने विक्रम विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन के लोकार्पण कार्यक्रम के साथ हुई परिचर्चा के अवसर पर व्यक्त किये।
विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन की लागत पांच करोड़ रुपये है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने ऐतिहासिक नगरी उज्जयिनी में शिक्षा व अनुसंधान के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय की परिकल्पना एक महान विद्यापीठ के रूप में की थी। उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय के द्वारा सफलता एवं उपलब्धियों के नये-नये आयाम हासिल करने पर विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं भी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 21वी सदी की प्रथम शिक्षा नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। इसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिये अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।
शिक्षा नीति में भारत की महान प्राचीन परम्परा तथा उसके सांस्कृतिक मूल्यों को आधार बनाया गया है। राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अपनी भूमिका पूरी निष्ठा के साथ निभा रहा है और विक्रम विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के परिपालन में अग्रणी सहभागिता कर रहा है।उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में विभिन्न विषयों के शिक्षण के लिये एक और नवीन भवन निर्माण के लिये 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रकार के नवीन पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये जायेंगे।
इन पाठ्यक्रमों से जहां हम आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाने के लिये तत्पर होंगे, वहीं इनसे कौशल संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण संभावनाएं साकार होंगी। रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम वर्तमान दौर की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उज्जैन औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो रहा है और इसका लाभ उठाकर विक्रम विश्वविद्यालय कई नवीन पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने जा रहा है। नवीन पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की प्रतिभा और कौशल के संवर्धन के साथ रोजगार प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होंगे। अतिथियों ने विश्वविद्यालय के प्रवेश पोस्टर का लोकार्पण भी किया।
नवनिर्मित भवन के लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक श्री पारस जैन ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के साथ-साथ उज्जैन में आयेदिन विकास से क्षेत्रवासियों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से युवाओं को लाभ मिलेगा। कोरोना महामारी से बचना आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति सावधानी बरते और सरकार की गाईड लाइन का अनिवार्य रूप से पालन करे। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त कर कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय के उन्नयन में सबकी सहभागिता मिल रही है।
विश्वविद्यालय में इन्क्यूबेशन सेन्टर की स्थापना अप्रैल माह से की जा चुकी है। स्टार्टअप को प्रारम्भ करने के लिये प्रयास भी प्रारम्भ हो चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने से छात्रों को लाभ मिलने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। प्राचीन नगरी उज्जयिनी में गुरूकुल की परम्परा थी। भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन किया है, वह प्रशंसनीय है। शिक्षा के साथ विश्वविद्यालय में रोजगारोन्मुखी कोर्स चालू किये हैं, इससे छात्रों को लाभ मिलेगा। कुलपति ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम एवं केन्द्र खोले जाना प्रस्तावित है।
प्रारम्भ में विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.प्रशांत पौराणिक ने स्वागत भाषण दिया। अतिथियों ने कार्यक्रम के पूर्व पांच करोड़ रुपये की लागत से बने नवनिर्मित भवन का विधिवत लोकार्पण कर भवन का अवलोकन किया। अतिथियों ने नवीन भवन की प्रशंसा की।लोकार्पण के बाद कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.पाण्डेय, कुल सचिव डॉ.पौराणिक, उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक श्री आरसी जाटवा, विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्षों एवं प्रोफेसरों ने किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्य श्री राजेश कुशवाह, सुश्री ममता बैंडवाल आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया और अन्त में आभार श्री सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने प्रकट किया।