नई दिल्ली: पूरा विश्व कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है तो वही चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है| ग्लोबल इनवॉयरमेंट फैसिलिटी काउंसिल (GEF) की 58वीं मीटिंग 29 जून को भूटान के बड़े इलाके को अपना बताने के बाद अब चीनी विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। जिसमें विदेश मंत्रालय ने कहा कि, चीन और भूटान के बीच सीमा को कभी भी निर्धारित नहीं किया गया। पिछले काफ़ी समय से पूर्वी, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों में विवाद चल रहा है। साथ ही चीन ने भारत की ओर इशारा करते हुए कहा कि किसी तीसरे पक्ष को चीन-भूटान सीमा विवाद में उंगली नहीं उठानी चाहिए।
आपको बता दे कि चीन, भूटान के जिस इलाके को अपना बता रहा है वो कभी भी विवादित नहीं रहा। दरअसल 1984 से लेकर 2016 के बीच में चीन और भूटान ने अब तक 24 बार बातचीत की है| हालांकि अभी तक किसी भी बातचीत में कभी भी पूर्वी भूटान या त्राशिगैंग दोंगशाक ज़िला, जहां सकतेंग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है, उसका ज़िक्र नहीं किया गया। ये अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित है। ग्लोबल इनवॉयरमेंट फैसिलिटी काउंसिल (GEF) की वर्चुअल मीटिंग में जब सेकतेंग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए फंड इकट्ठा करने को लेकर बात चली थी तो अचानक चीन के रिप्रजेंटेटिव झोंगजिंग वांग ने इस पर आपत्ति जताई थी। साथ ही चीन ने कहा कि ये सेंचुरी विवादित इलाके में आती है। चीन के इस दावे को काउंसिल ने स्वीकार नहीं किया और प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी।
भूटान ने कहा- हम साफ कर देना चाहते हैं कि यह जमीन हमारे देश का अटूट हिस्सा है। बता दे की सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे भूटान के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित राष्ट्रीय उद्यान है जिसका वर्ग 650 किमोमीटर में फैला है।जो की अरुणाचल के सेला पास से करीब 17 किमी की दूरी पर है।