इन 12 मंत्रियों ने मोदी कैबिनेट को कहा अलविदा, इस तरह हुआ नए चहरों का चयन!

Share on:

पीएम मोदी के मंत्रिमंडल को लेकर यह नहींसोचा था की इतने बड़े कद के मंत्रियो को भी हटाया जाएगा। लेकिन 12 मंत्रियों के इस्तीफे को आम बात बोलकर टाला जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने मंत्रियों के परफॉर्मेंस को परखने में सवा महीने का लंबा वक्त लगाया, फिर जाकर छंटनी की लिस्ट तैयार की.

मंत्रियों को हटाए जाने के पीछे की वजह उनके काम के हिसाब से हुई है. लोखड़ौन के दौरान कोनसे मंत्री ने कैसा काम किया है उसी तरिके को ध्यान में रखते हुए 12 मंत्रियों को हटाया गया है. कोरोना काल में किस मंत्री का परफॉरमेंस कैसा रहा, यह उनके मंत्रिमंडल में रहने या जाने का एक बड़ा फैक्टर रहा.

पिछले सवा महीने से पीएम मोदी पार्टी के सीनियर नेताओं के साथ मिलकर हर मंत्री की परफारमेंस का रिव्यू कर रहे थे और सबका रिपोर्ट कार्ड भी तैयार किया गया. बहरहाल, अब कहा जा रहा है कि इतने बड़े चेहरों को कैबिनेट से खारिज किए जाने का मतलब है कि उनके लिए पार्टी संगठन में जगह बनाई जाएगी.

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर के खिलाफ खूब बयानबाजी की. ट्विटर ने देश के नए आईटी कानून के तहत अधिकारियों की अनिवार्य नियुक्ति से आनाकानी की. एक तरफ ट्विटर कोर्ट चला गया तो दूसरी तरफ उसने खुद कानून मंत्री का अकाउंट ही ब्लॉक कर दिया. हालांकि, कुछ देर में ही प्रसाद का ट्विटर अकाउंट फिर से ऐक्टिव हो गया था, लेकिन इस बीच जो संदेश जाना चाहिए था, वो चला गया. संदेश यह कि एक अमेरिकी कंपनी ट्विटर, भारत सरकार को भी आंखें दिखा सकती है. स्वाभाविक है कि अपने इकबाल के लिए जानी जाने वाली मोदी सरकार की छवि को इस घटनाक्रम ने गहरी चोट पहुंचाई. रविशंकर प्रसाद को मोदी सरकार में कितना महत्व दिया गया था, इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि वो अक्सर नीतिगत और राजनीतिक मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखा करते थे. लेकिन, आईटी मिनिस्टर के रूप में टेलिकॉम सेक्टर की लंबित समस्याओं का टिकाऊ हल निकालने और भारतनेट प्रॉजेक्ट की रफ्तार बढ़ा पाने में नाकामी ने उनका विकेट डाउन करवा दिया.

मानव संसाधन मंत्री: रमेश पोखरियाल ‘निशंक को मुख्य रूप से स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मंत्री पद छोड़ना पड़ा है. उन्हें कोविड-19 महामारी हुई थी और वो इससे उबरने के बाद भी तरह-तरह की परेशानियों से गुजर रहे. उन्हें ठीक होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था. उनके कार्यकाल में नई शीक्षा नीति की रूपरेखा तो जरूर आ गई, लेकिन स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव के मोर्चे पर वो तेजी नहीं दिखी जिसकी उम्मीद की जा रही थी. ध्यान रहे कि मोदी सरकार ने बड़े सुधारों वाले क्षेत्र में शिक्षा को भी शामिल कर रखा है. हद तो यह कि मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से वित्तीय सहायता प्राप्त पत्रिकाओं में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ, प्रचार किया जा रहा था, लेकिन उन्हें लंबे समय तक भनक नहीं लगी और जब इसका पता भी चला तो वो तुरंत कार्रवाई भी नहीं कर सके.

सूचना-प्रसारण मंत्री सरकार के प्रवक्ता होने के नाते जावडेकर और उनके मंत्रालय की जिम्मेदारी थी कि वह कोरोना काल में सरकार की इमेज सही करने के लिए कदम उठाए, लेकिन उनका मंत्रालय इसमें असफल रहा, देसी मीडिया के अलावा विदेशी मीडिया में भी सरकार की बहुत किरकिरी हुई और सीधे पीएम मोदी की इमेज पर असर पड़ा. जावडेकर की उम्र भी उनके हटने की एक वजह बताई जा रही है। वह 70 साल के है.