इंदौर। नगर निगम के अपर आयुक्त श्रृंगार श्रीवास्तव के अचानक स्थानांतरण से निगम के अधिकांश अधिकारी सकते में आ गए हैं । जिस तरह से श्रीवास्तव का तबादला अचानक हुआ और उन्हें तुरत फुरत रिलीव कर दिया गया इसके पीछे अंदाजा लगाया जा रहा है कि तबादला कराने में किसी बड़े प्रभावशाली अधिकारी ,मंत्री या जनप्रतिनिधि का हाथ हो सकता है । बताया जाता है कि श्रंगार श्रीवास्तव के तबादले के बाद से ही भोपाल से इस बात का दबाव लगातार बनाया जा रहा था कि उन्हें जल्द से जल्द रिलीव किया जाए।
श्रीवास्तव के तबादले के बाद अन्य अधिकारी भी मान कर चल रहे हैं कि कभी भी उनका भी तबादला हो सकता है। अभी तक यह माना जाता था कि निगम आयुक्त की मर्जी के बिना निगम के किसी अपर आयुक्त को नहीं हटाया जाएगा। अगर नगर निगम में किसी अधिकारी का तबादला हो भी जाए लेकिन उसे रिलीव करने या नहीं करना यह निगमायुक्त पर निर्भर है। जैसा कि उपायुक्त लता अग्रवाल के मामले में हुआ। लता अग्रवाल को बाद में हाईकोर्ट से स्थगन प्राप्त हुआ और नगरीय प्रशासन विभाग ने उनका तबादला निरस्त कर दिया।
उपायुक्त कैलाश जोशी के तबादले के बाद भी उन्हें आज तक रिलीव नहीं किया गया है । बताया जाता है कि निगम गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि आखिर वह प्रभावशाली व्यक्ति कौन हो सकता है जिसने श्रंगार श्रीवास्तव जैसे निगमायुक्त के विश्वासपात्र अधिकारी का तबादला एक झटके में करवा दिया। निगम आयुक्त द्वारा हाल ही में उन्हें नगर निगम का सबसे मलाईदार विभाग भवन अनुज्ञा का प्रभार दिया गया था। तब से ही है माना जा रहा था कि वह निगमायुक्त के सबसे विश्वासपात्र अपर आयुक्त हैं।