भोपाल : राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि कोविड महामारी के कारण आर्थिक या पारिवारिक चुनौतियों का सामना करने वाले छात्रों के लिए विद्यालय अधिक संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करें। उनके कल्याण की कार्य-योजना तैयार करें। प्रयास होना चाहिए कि पारवारिक और आर्थिक संकट के कारण कोई भी छात्र शिक्षा प्राप्त करने से वंचित नहीं हो। उन्होंने स्कूली शिक्षकों और विद्यालय प्रबंधकों का आव्हान किया है कि कोविड संक्रमण की तीसरी लहर के संबंध में विशेषज्ञों की चेतावनी को गम्भीरता से लें।
संक्रमण की आवश्यक जानकारियों और सावधानियों के संबंध में पालकों को जागृत करें। श्रीमती पटेल आज राजभवन लखनऊ से ‘‘महामारी में समरसता होना- स्कूली छात्रों और अभिभावकों के लिए सीख’’ विषय पर आई. ई. एस. विश्वविद्यालय भोपाल और सी.आई.आई. म.प्र. के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को ऑनलाइन संबोधित कर रहीं थी।
राज्यपाल श्रीमती पटेल ने कहा कि सरकार के स्तर पर तीसरी लहर की चुनौती का सामना करने के लिए सभी कार्य किए जायेंगे। साथ ही छोटे बच्चों के स्वास्थ की निगरानी में माता-पिता, शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि छोटे बच्चे स्वयं रोग के लक्षणों को समझ नहीं पायेंगे। अपनी समस्याओं को भी बता नहीं पायेंगे। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन और शिक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंस एवं अन्य माध्यमों से छोटे बच्चों के माता-पिता को कोविड संक्रमण के संबंध में विशेषज्ञों के सुझावों और निर्देशों के पालन के लिए प्रेरित करें। उन्हें छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी करने, प्रारम्भिक लक्षणों की पहचान करने में सक्षम बनाएं ताकि संक्रमित होने पर प्रारम्भिक अवस्था में उपचार किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमण की दूसरी लहर ने ऑक्सीजन की महत्ता को समझाया है। ऑक्सीजन का प्रमुख स्त्रोत पेड़ होते हैं। इस बारे में बच्चों को बताएं और ऐसे नए विषय पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाए। नई शिक्षा नीति में इसके लिए प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालय कम से कम पाँच गाँवों को गोद ले कर वहाँ तालाब किनारे पेड़ लगवाएं। उन्होंने अपेक्षा की है कि विद्यालय प्रबंधन इस संबंध में समितियाँ गठित कर व्यापक चिंतन करें ताकि भविष्य की चुनौतियों का बेहतर और प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
श्रीमती पटेल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण आज हमारे समक्ष अनगिनत चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसमें अवसर भी हैं। आवश्यकता स्वमूल्यांकन, स्पष्ट कार्ययोजनाओं एवं दृढ़ संकल्प की है। एक नई जीवन शैली और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की है। उन्होंने कहा कि परम्परागत जीवन पद्धति के अनुसार अपनी दैनिक दिनचर्या बनाए। चाहे कुछ भी हो, फिटनेस और व्यायाम के लिए जरूर समय निकालें। शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती को बेहतर बनाने के साधन के तौर पर योग का भी अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि कोविड ने हमें हमारी पारम्परिक जीवन पद्धति, सांस्कृतिक मूल्यों और आधुनिक तकनीक के उपयोग की महत्ता को समझाया है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षण पद्धति लंबे समय तक चलने वाली है, क्योंकि इसके अनेक लाभ हैं।
ऑनलाइन शिक्षा को आऊटकम आधारित बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जाना जरुरी है। टीचर्स डेवलपमेंट प्रोग्राम, न्यू टेक्नोलॉजी, टीचिंग लार्निंग के क्वालिटी बेंचमार्क बनाकर कार्य किया जाए। उन्होंने महामारी में दिवंगत हुई आत्माओं की शांति, रोगियों के शीघ्र पूर्ण रुप से स्वस्थ होने की प्रार्थना की। अपना जीवन जोखिम में डालकर आम नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए चिकित्सकों, पैरा मेडिकल स्टाफ,आवश्यक सेवा प्रदाताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कोरोना योद्धाओं की सेवाओं के लिए उनका आभार ज्ञापित किया।
स्वागत उद्बोधन चांसलर आई.ई.एस. विश्वविद्यालय, इंजीनियर श्री बी.एस.यादव ने और आभार प्रदर्शन वाइस चांसलर श्री वैष्णव विद्यापीठ इंदौर श्री उपेंद्र धर ने किया। ऑनलाइन संगोष्ठी में एम.पी. इण्डस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन के एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर श्री ऋषि गर्ग, ट्रॉट्स्की स्पीकर और लाइफ कोच श्री प्रजेश टेडएक्स, अध्यक्ष,सी.आई.आई. एम.पी. श्री सौरभ सांगला, सी.आई.आई. के अधिकारीगण, विद्यार्थी और पालक शामिल हुए।