अर्जुन राठौर
इन दिनों सोशल मीडिया पर आम आदमी की पिटाई के जो वीडियो वायरल हो रहे हैं वो अंग्रेजी शासन काल की याद दिला रहे हैं कहीं पर महिलाओं को पुलिस द्वारा बाल पकड़कर घसीटा जा रहा है तो कहीं पर महिलाओं की सरेआम पिटाई हो रही है इन सारे वीडियो को देखने के बाद आम आदमी के मन में यही सवाल आ रहा है कि क्या उनकी किस्मत में यही लिखा है ।
एक तरफ लॉकडाउन में रोजी-रोटी से परेशान दूसरी तरफ कोरोना की बीमारी का आतंक और इसी बीच यदि कोई व्यक्ति मजबूरी वश बाहर निकल रहा है तो पुलिस और अधिकारी उसका सही कारण जानने की बजाए सीधे-सीधे या तो उसकी धुलाई कर रहे हैं या फिर उन्हें जेल भेजा जा रहा है ऐसा ही एक वाकया छत्तीसगढ़ में हुआ जहां पर लखनपुर के कलेक्टर रणवीर शर्मा ने एक युवक जोकि दवाई की पर्ची के साथ दवाई लेने जा रहा था उसे रोका और पहले उसका मोबाइल तोड़ा उसके बाद उसे थप्पड़ लगाए ।
यह पूरा वीडियो वायरल हो गया और लोगों ने देखा कि किस बेरहमी से युवक को थप्पड़ मारे गए और उसका मोबाइल तोड़ दिया गया जबकि उसके पास दवाई की पर्ची भी थी वीडियो वायरल होने के बाद पूरा मामला पहुंचा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास, भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले को बेहद संवेदनशीलता के साथ लेते हुए कलेक्टर को हटाने के आदेश दे दिए और उस युवक तथा उसके परिवार से माफी मांगी मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके प्रदेश में इस तरह की हरकतें नहीं चलेगी कुल मिलाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जानकारी में आने के बाद इस मामले में तो कार्रवाई हो गई.
लेकिन अभी भी अनेक स्थानों पर अधिकारियों और पुलिस के आतंक का शिकार आम लोग हो रहे हैं यह बात समझ के बाहर है कि आखिर मजबूरी में बाहर निकले लोगों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? इंदौर में ही एक बैंक अधिकारी की कार पंचर कर दी गई और एक डॉक्टर को तो ड्यूटी पर जाने से ही रोक दिया गया जिन्होंने बाद में आईएमए में शिकायत भी दर्ज कराई । इसमें कोई दो मत नहीं है कि अधिकारी और पुलिसकर्मी कोरोना काल में पहले ही बेरोजगारी से त्रस्त लोगों को जिस तरह से प्रताड़ित कर रहे हैं उससे यही जाहिर होता है कि अंग्रेजी शासनकाल में जो होता था उसकी वापसी फिर से हो गई है ।