अयोध्यापुरी ज़मीन मामले मे पुष्पेंद्र नीमा को मिली ज़मानत।

Mohit
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हाई कोर्ट ने आज अयोध्यापुरी ज़मीन मामले मे जबर्दस्ती फंसाये गए साधारण मध्यमवर्गीय परिवार के रिटायर्ड 63 वर्षीय पुष्पेंद्र नीमा की याचिका मंजूर करते हुए उन्हे ज़मानत दे दी। नीमा पर षड्यंत्र मे शामिल होने के आरोप को बिना जाँच के ही संदेह के आधार पर मढ़ दिया गया था। उन्हें लगभग 15 वर्ष पूर्व नौकरी के दौरान जिस सिम्पलेक्स कंपनी मे संचालक बना दिया गया था, उस कंपनी से उन्होने सिर्फ 4 महीने मे ही वेतन ना मिलने के कारण त्याग-पत्र देकर अपने आप को अलग कर लिया था। उन 4 महीनो के दौरान कंपनी मे कोई भी ज़मीन के सौदे नही हुए थे, अतएव उनके त्याग-पत्र देने के बाद हुई कंपनी की किसी भी गतिविधि से नीमा का कोई लेना-देना नही था। इसके साथ ही ना तो वे कभी किसी ज़मीनी कारोबार या गृह निर्माण संस्था से जुड़े थे और ना ही इस मामले मे शामिल किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानते थे या उनसे कोई लेना-देना था, फिर भी उन्हें षड़यंत्र मे शामिल होने का इल्ज़ाम संदेह के आधार पर लगाकर आरोपी बना दिया गया था। सरेंडर करने के पूर्व भी अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए उन्होने परिवार, मित्रों एवं समाजजनो की मदद से आवेदन देकर स्वयं ही इस मामले की जांच करने की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगाई थी।

सरल स्वभाव व साफ़-सुथरी छवि वाले नीमा ने नौकरियाँ करके अपना जीवन यापन किया है एवं उनका आज तक कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नही रहा है। वे सामाजिक गतिविधियों मे भी हमेशा सक्रिय रहे हैं। जिस एक ही घर मे वे विगत 63 वर्षों से रह रहे हैं, वह भी उनके नाम से नही है एवं उनकी पैतृक संपत्ति है। उनकी 61 वर्षीय पत्नी भी विगत 28 वर्षों से एक निजी विद्यालय मे शिक्षिका रहीं है।