उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर तेज है। भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल पूरा हो चुका है, और अब सभी की निगाहें नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर टिक गई हैं। पार्टी के अंदर मंथन जारी है, और दिल्ली से लेकर लखनऊ तक हलचल बढ़ गई है।
संगठन चुनाव की प्रक्रिया तेज, दौरे ने पकड़ी रफ्तार
भाजपा संगठन के चुनाव की प्रक्रिया मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव से शुरू हो चुकी है। जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसी कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े का लखनऊ दौरा चर्चा का केंद्र बन गया है। तावड़े ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इन बैठकों को संगठन में बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
संभावित चेहरों पर मंथन
नए अध्यक्ष के लिए कई नाम चर्चा में हैं। स्वतंत्र देव सिंह, जो पहले प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, फिर से पद के लिए जोर लगा रहे हैं। उन्होंने दिल्ली और लखनऊ में संघ और पार्टी नेताओं से मुलाकात भी की है। वहीं, मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी एक और कार्यकाल के लिए दावेदार माने जा रहे हैं, हालांकि उन्हें दोबारा मौका मिलने की संभावना कम मानी जा रही है। अन्य नामों में एमएलसी विद्यासागर सोनकर, पूर्व सांसद विनोद सोनकर, और बाबूराम निषाद भी प्रमुख हैं।
2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति का अहम हिस्सा
नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। पार्टी को एक ऐसा चेहरा चाहिए, जो सभी वर्गों को साध सके और संगठन को मजबूती दे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को प्रदेश अध्यक्ष चुनाव का अधिकारी बनाया गया है। जल्द ही वह लखनऊ आकर वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे।
तावड़े के दौरे से बढ़ी सरगर्मी
विनोद तावड़े ने मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, संगठन महामंत्री और अन्य नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकों में संभावित नामों पर रायशुमारी की। सूत्रों का कहना है कि तावड़े पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इन चर्चाओं का फीडबैक देंगे।
कौन होगा अगला अध्यक्ष?
प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में अभी कई नाम शामिल हैं, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा नेतृत्व को करना है। सभी की नजरें इस पर हैं कि पार्टी 2024 लोकसभा और 2027 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किस नेता को आगे बढ़ाती है।
जल्द ही इस सस्पेंस से पर्दा उठने की संभावना है, और यूपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है।