देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिर से प्रवासी मजदूरों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. पिछले साल कोरोना की पहली लहर के बीच सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के हित में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए कई निर्देश जारी किए थे. इन्हीं निर्देशों को लेकर शीर्ष न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि उन आदेशों पर कोई अमल नहीं हुआ है क्योंकि किसी भी राज्य सरकार की तरफ से अब तक को जवाब दाखिल नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में आने वाले राज्यों में सामुदायिक रसोई की व्यवस्था और कोविड-19 वैश्विक महामारी की मौजूदा लहर के बीच घर लौटने के इच्छुक प्रवासी मजदूरों के लिए परिवहन को सुविधाजनक बनाने के निर्देश पारित करने का इच्छुक है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों से निजी बस संचालक अत्यधिक किराया नहीं वसूल करें और केंद्र को उन्हें परिवहन की सुविधा देने के लिए रेलवे को शामिल करने पर विचार करना चाहिए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने तीन कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं जिसमें राज्यों और केंद्र को महामारी के बीच देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन की वजह से परेशानी झेल रहे प्रवासी मजदूरों के भोजन की सुरक्षा, नकदी हस्तांतरण, परिवहन सुविधाएं और अन्य कल्याण उपाय सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
पीठ ने कहा, ‘फिलहाल के लिए हम, सामुदायिक रसोई पर निर्देश पारित करने के इच्छुक हैं ताकि कोई भूखा न रहे और जो जाना चाहते हैं उनकी आवाजाही को भी सुविधाजनक बनाने पर निर्देश देंगे.’ साथ ही कहा कि हम बृहस्पतिवार शाम तक आदेश पारित करेंगे. पीठ ने कहा कि एनसीआर राज्यों – दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के लिए वह कुछ निश्चित निर्देश जारी करेगा, जबकि अन्य राज्यों के लिए वह याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उनके जवाब दायर करने को कहेगा.