कोरोना काल में बिहार में पहली बार ब्लैक फंगस के केस सामने आए हैं. पटना एम्स में ऐसे 5 मरीज मिले हैं. सभी का फिलहाल पटना एम्स में इलाज किया जा रहा है. पटना एम्स के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉक्टर संजीव ने बताया कि फंगस कोई नया रोग नहीं हैं यह पहले भी साउथ में चलता आ रहा है. इसके होने का एक कारण स्टेरॉइड का यूज कोरोना मरीजों के इलाज में बड़ी भूमिका है. इसका ज्यादा ही उपयोग और पेशेंट का ज्यादा समय अस्पताल में रहना कोरोना मरीज में फंगस संक्रमित का ज्यादा खतरा रहता है.
कोरोना वायरस के पहले फेज में यह फंगस नहीं था लेकिन दूसरे फेज में जब लंबे समय तक मरीज हॉस्पिटल में रहते हैं काफी हाइड्रोज में स्टेरॉयड चला ऐसे में किसी किसी को यह इंफेक्शन हो जा रहा है. अभी देश के दक्षिणी भाग में इंस्पेक्शन ज्यादा हो रहा है. उन्होंने बताया कि अभी हमने ओपीडी में लगभग 5 केस देखे हैं. जिन्होंने पहले कोरोना का इलाज कराया था उनमें फंगस इंफेक्शन पाया जा रहा है. फंगस इंफेक्शन हमेशा से खतरनाक होता है. फंगल इन्फेक्शन लग्स में हो तो यह मुश्किल पैदा कर सकता है. अभी जो इंफेक्शन हो रहा है वो चेहरे के भागों में ओठ या आंख में हैं और इसका इलाज संभव है.